नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात सरकार को 2002 गुजरात दंगों में दुष्कर्म पीड़िता बिलकिस बानो को मुआवजा, नौकरी और घर देने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को दो हफ्ते के भीतर 50 लाख का मुआवजा, सरकारी नौकरी और आवास देने का आदेश दिया है। बिलकिस बानो की ओर से कहा गया है कि अभी तक सरकार ने कुछ नहीं दिया है। बता दें कि दंगों के दौरान अहमदाबाद के नजदीक हिंसक भीड़ ने पांच महीने की गर्भवती बिलकिस बानो से गैंगरेप किया और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी।

बिलकिस बानो की ओर से दायर अवमानना याचिका में कहा गया कि कोर्ट के आदेश के बाद भी गुजरात सरकार ने उसे अभी तक कुछ भी नहीं दिया है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को आदेश का पालन करने के लिए सिर्फ दो हफ्ते का समय दिया। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल, 2019 को मामले में दिए आदेश में पीड़ि‍ता बिलकिस याकूब रसूल को 50 लाख रुपये मुआवजा, सरकारी नौकरी और घर देने का आदेश दिया था। गुजरात सरकार की ओर से आदेश का अब तक पालन नहीं किए जाने के बाद पीड़ि‍ता ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी।

अप्रैल में हुई सुनवाई दौरान कहा कि गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि दोषी अधिकारियों, जिन्होंने बिलकिस गैंगरेप मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की, उनमें से कई को पूरे पेंशन लाभ से हटा दिया गया। एक आइपीएस अधिकारी को दो रैंकों में डिमोट किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिसवालों पर कार्रवाई पर मुहर लगा दी थी।

दरअसल, बिलकिस बानों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा था कि इस केस में उसे और भी मुआवजा दिलाया जाए। साथ ही, कहा गया कि जिन चार पुलिसवालों व दो डॉक्टरों को हाईकोर्ट ने दोषी ठहराया था, उनकी जानकारी के मुताबिक, उन्हें सरकार ने वापस काम पर रख लिया था। कोर्ट ने गुजरात सरकार से जवाब मांगने के साथ ही बिलकिस को कहा था कि वह मुआवजे के लिए अलग से याचिका दाखिल करे।

गोधरा कांड के बाद गुजरात में हुए दंगों के दौरान बिल्किस बानो बलात्कार कांड और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में विशेष अदालत ने 21 जनवरी, 2008 को 11 आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी जबकि पुलिसकर्मियों और चिकित्सकों सहित सात आरोपियों को बरी कर दिया था।