नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के मामले में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख इख्तियार किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कश्मीर मामले से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई को स्थगित कर दिया और उन्हें मंगलवार को संविधान पीठ द्वारा सुवाई के समक्ष भेज दिया। सोमवार को सुनवाई स्थगित करते हुए चीफ जस्टिस (CJI) रंजन गोगोई ने कहा कि अदालत के पास समय नहीं है, क्योंकि उसे अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई करनी है। CJI रंजन गोगोई ने कहा, “हमारे पास इतने मामलों को सुनने का समय नहीं है। हमारे पास सुनवाई के लिए संविधान पीठ का मामला (अयोध्या विवाद) है।”

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने दलीलों का उल्लेख किया, जिसमें कश्मीर में पत्रकारों की आवाजाही पर लगाए गए कथित प्रतिबंधों के मुद्दों के साथ-साथ घाटी में नाबालिगों की अवैध हिरासत का दावा करने वाली याचिकाओं को भी अपनी पांच-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष रखा। अदालत ने जम्मू और कश्मीर में बच्चों की कथित अवैध हिरासत पर बाल अधिकार विशेषज्ञ एनाक्षी गांगुली और प्रोफेसर शांता सिन्हा द्वारा दायर जनहित याचिका को संविधान पीठ को भेज दिया है। कश्मीर पर अन्य याचिकाओं और धारा 370 को निरस्त करने के साथ मंगलवार को इस मामले को फिर से उठाया जाएगा।

कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद की याचिका पर मंगलवार को पांच न्यायाधीशों की पीठ भी सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन द्वारा दायर याचिका में धारा 370 को निरस्त करने और कश्मीर में पत्रकारों की मुक्त आवाजाही के बाद कश्मीर में संचार नाकाबंदी हटाने और संविधान पीठ के समक्ष याचिका दायर करने की भी मांग की गई है।

न्यायमूर्ति एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ मंगलवार को अनुच्छेद 370 से संबंधित सभी याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राज्यसभा सांसद वाइको की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला को अदालत के समक्ष पेश होने के लिए मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि एमडीएमके नेता सार्वजनिक सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासक को चुनौती दे सकते हैं।