नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हर मामले में जांच एजेंसी के पास जाने की जरूरत नहीं है और "सीबीआई ईश्वर नहीं है." जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के एक आदेश पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ऐसा कहा. जिस मामले को लेकर दोनों जस्टिस ऐसा कह रहे थे, उस मामले में जांच स्थानीय पुलिस से लेकर मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था. जस्टिस रमना ने कहा, "सीबीआई ईश्वर नहीं है, वे हर मामले को नहीं समझ सकते हैं, वो हर मामले की जांच कर उसे हल नहीं कर सकते."

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने अगस्त 2017 को एक शख्स के गायब होने के मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया था. गायब शख्स का भाई इस मामले को तब कोर्ट में लेकर गया था, जब स्थानीय पुलिस उन्हें खोजने में असमर्थ रही थी. याचिकाकर्ता श्यामबीर सिंह ने शिकायत की थी कि उनका भाई 2012 से गायब था. वो तब गायब हो गया था, जब वो अपने पिता से जमीन खरीदने वाले लोगों के पास पैसा लेने गया हुआ था. इस मामले की जांच को उस वक्त हाईकोर्ट ने पलवल पुलिस से सीबीआई को स्थानांतरित कर दी थी.

हालांकि, सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी, ये बताते हुए कि स्थानीय पुलिस मामले की जांच क्यों नहीं कर सकती है? सीबीआई, जिसके पास सीमित जनशक्ति और संसाधन हैं, उसे इस केस को देने का कोई ठोस कारण नहीं नजर आता है. सुप्रीम कोर्ट इस बात को लेकर सीबीआई से सहमत था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हर मामला सीबीआई के पास नहीं जा सकता. अगर हर दूसरा मामला सीबीआई के पास जाने लगा तो सरासर अराजकता होगी. ये नहीं किया जा सकता है."

पीठ ने श्यामबीर सिंह से कहा कि उन्हें पलवल पुलिस की रिपोर्ट को चुनौती देनी चाहिए, जिसने मामला ये कहते हुए बंद करने की कोशिश की, कि गायब हुआ शख्स पहुंच से बाहर है. श्यामबीर सिंह के वकील को बताया गया, "आप सिर्फ कानून की प्रक्रिया का पालन करते हैं. यदि पुलिस ने एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की है, तो उचित उपाय ये है कि आप इसका विरोध याचिका दाखिल कर चुनौती दे सकते हैं." अदालत ने हरियाणा पुलिस को मामले की सही तरीके से जांच करने के लिए कहा और सीबीआई की अपील को अनुमति देकर याचिका का निपटारा कर दिया.