सरकार ने अकेडमी से माँगा जवाब, प्रक्रिया की होगी जांच

लखनऊ: उत्तर प्रदेश उर्दू एकेडमी का सम्मान समारोह विवादों में आ गया है। बोर्ड ने अपने चेयरपर्सन सहित तीन सदस्यों को 2018 के अवॉर्ड के लिए नामित किया है। हालांकि, विवाद बढ़ने के साथ सरकार ने पुरस्कारों को रद्द कर दिया है और इस बारे में तीन दिन के अंदर एकेडमी से जवाब मांगा है।

एकेडमी ने 186 अवॉर्ड की घोषणा की थी लेकिन इसमें तीन नाम उसके ही अपने सदस्य के थे। अवॉर्ड्स की इस घोषणा के तहत एकेडमी की चेयरपर्सन प्रोफेसर आसिफा जमानी को डॉक्टर सुगमा मेहदी अवॉर्ड के लिए नामित किया गया था। इसके तहत पुरस्कार की राशि 1 लाख रुपये है।

वहीं, बोर्ड के दो सदस्यों प्रोफेसर अब्बास रजा नैय्यर और प्रोफेसर आफताब अहमद अक्काफी को भी पुरस्कार के लिए नामित किया गया था। इस दोनों पुरस्कारों की पुरस्कार राशि डेढ़-डेढ़ लाख रुपये है। अब्बास रजा को आमिर खुसरो और आफताब अहमद को प्रोफेसर मोहम्मद हसन अवॉर्ड के लिए नामित किया गया था।

न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार यूपी के अल्पसंख्यक मंत्री मोहसिन रजा ने बताया कि प्राइज दिय़े जाने की पूरी प्रक्रिया की एक बार फिर से जांच होगी। उन्होंने कहा, 'पुरस्कारों को रद्द कर दिया गया है और तीन दिन में उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है। ये बहुत जिम्मेदार लोग हैं जो बोर्ड के सदस्य हैं और अवॉर्ड ज्यूरी में शामिल थे, फिर भी इन्होंने खुद को पुरस्कृत किया। हमने उनसे पूछा है कि कौन सा नियम उन्हें खुद पुरस्कृत करने की इजाजत देता है।'

मोहसिन रजा के अनुसार नियम इसकी इजाजत नहीं देते। एकेडमी का शीर्ष- मौलाना अबुल कलाम आजाद अवॉर्ड बिहार के जाकिया मुशहदी को देने की घोषणा की गई है। इस पुरस्कार की राशि 5 लाख रुपये हैं।