संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में भारत ने बिना नाम लिए पाकिस्तान पर किया हमला

संयुक्त राष्ट्र: भारत का कहना है कि आतंकवाद के ख़िलाफ़ वैश्विक लड़ाई की पहचान करनी चाहिए, उसकी ज़िम्मेदारी तय की जानी चाहिए और उन देशों के ख़िलाफ कड़े कदम उठाए जाने चाहिए जो आतंकवादियों को धन मुहैया कराते हैं तथा उन्हें पनाह देते हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में बुधवार को मंत्री स्तरीय चर्चा में विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन ने कहा कि उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से बिना किसी देरी के अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक संधि को जल्द से जल्द स्वीकार करने का आह्वान किया।

मुरलीधरन ने कहा कि हमारा मानना है कि आतंकवाद के ख़िलाफ लड़ाई सिर्फ़ आतंकवादियों और आतंकवादी संगठनों तथा उनके नेटवर्क को तबाह करने तक सीमित नहीं होनी चाहिए बल्कि जो आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं, उनकी पहचान की जानी चाहिए, उन्हें ज़िम्मेदार ठहराना चाहिए और उन देशों के ख़िलाफ़ कड़े क़दम उठाने चाहिए जो उनका समर्थन करते हैं और धन मुहैया कराते हैं तथा आतंकवादियों एवं आतंकवादी संगठनों को पनाह देते हैं।

मंत्री ने कहा कि आज की सुरक्षा समस्याओं को भौतिक या राजनीतिक सीमाओं में बांधा नहीं जा सकता है। आतंकवाद, मादक पदार्थ की तस्करी, अंतर्राष्ट्रीय अपराध और नयी प्रौद्योगिकीयों के सुरक्षा निहितार्थ वैश्विक चुनौतियां हैं जिन्हें अलग-अलग बांटकर नहीं देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसलिए उनके प्रति हमारी प्रतिक्रिया में सीमा पार सहयोग को भी शामिल किया जाना चाहिए।

सीसीआईटी एक प्रस्तावित संधि है, जिसमें सभी रूपों में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को अपराध घोषित करने तथा आतंकवादियों, उनके धन के स्रोत एवं कोष, हथियार तथा पनाह देने वाले समर्थकों के खात्मे का प्रावधान है।

भारत ने 1996 में संयुक्त राष्ट्र में सीसीआई मसौदा पेश किया था, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के बीच आम सहमति नहीं बन पाने के कारण इसे व्यवहारिक रूप नहीं दिया जा सका।