नई दिल्ली: सुस्त अर्थव्यवस्था के बीच पवन टरबाइन निर्माता सुजलॉन एनर्जी दिवालिया होने की कगार पर है। कंपनी पर 7,751 करोड़ रुपए का कर्ज है और कंपनी इतने बुरे दौर से गुजर रही है कि उसे अपनी संपत्ति का कोई खरीददार तक नहीं मिल रहा। बैंकिंग सूत्रों के मुताबिक कंपनी पर कर्ज का बोझ इतना ज्यादा है कि उसके पास इस चुकाने के लिए कोई विकल्प नहीं दिख रहे और वह खुद को दिलालिया होने से बचाने में नाकाम है। बैंकिंग सूत्रों ने कहा है कि कंपनी की दिवालिया प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है और यह मामला दिवालिया कोर्ट नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में जाएगा।

बता दें कि इस कंपनी पर मार्च 2019 तक कुल 7,751 करोड़ रुपए का कर्ज दर्ज किया गया है। इसके अलावा कंपनी ने अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए जून 2019 तक 4,000 करोड़ रुपए का कार्यशील पूंजी ऋण भी लिया है। कंपनी ने 4,978 करोड़ रुपए का राजस्व पर 1,537 करोड़ रुपए का राजस्व दर्ज किया है। सुजलॉन एनर्जी को इस वित्त वर्ष में 1,928 करोड़ रुपए, वित्त वर्ष 2021 में 835 करोड़ रुपए, वित्त वर्ष 2022 में 926 करोड़ रुपए और वित्त वर्ष 2023 में 4,483 करोड़ रुपए का भुगतान करना है। यह भुगतान आगे भी जारी रहेगा।

कंपनी के लिए मुसीबत तब खड़ी हुई जब वह बीते दिनों बॉंड से जुड़े 17.2 करोड़ डॉलर के बकाये बॉंड की मूल राशि का भुगतान में करने में असफल रही। सुजलॉन एनर्जी ने एक बयान में कहा था कि ‘कंपनी ने बॉंड की बकाया मूल राशि का भुगतान नहीं किया है। यह राशि 172,000,000 डॉलर (करीब 1,180 करोड़ रुपये) है। बॉंड के नियम शर्तों के अनुसार इसका भुगतान 16 जुलाई 2019 को किया जाना था।’ इसमें कहा गया है कि कंपनी अपने कर्ज का समाधान ढूंढने के लिए काम कर रही है और बांड समेत अन्य बकाया कर्जों को लेकर विभिन्न हितधारकों से बातचीत कर रही है।

मालूम हो कि इससे पहले खबरें थीं कि कंपनी को कर्ज से निकालने के लिए दो इंटरनेशनल कंपनियों ने सुजलॉन एनर्जी को खरीदने के इच्छा जाहिर की थी लेकिन बाद में दोनों ही कंपनियां अपनी योजना से पीछे हट गई। बताया जाता है कि इस साल की शुरुआत में कनाडा की कंपनी ब्रुकफील्ड (Brookfield) ने इसमें निवेश की योजना बनाई थी और इसके लिए प्रस्ताव भी भेजा था लेकिन बैंकर्स के साथ किसी शर्त को लेकर डील रुक गई।