नई दिल्ली: देश के प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थान IIT में दाखिला ले लेने पर ही चुनैतियां खत्म नहीं होती हैं. दाखिला लेने के बाद भी वहां रहकर चार साल तक पढ़ाई करना और अच्छे नंबरों से पास होना अपने आप में बेहद मशक्कत और चुनौती भरा काम है. IIT में चार साल पढ़ने के दौरान सामने आने वाली चुनौतियों पर खरे नहीं उतर पाने वाले छात्रों को बाहर का रास्ता देखना पड़ता है. पिछले दो सालों में आईआईटी से बी.टेक और पोस्ट-ग्रेजुएट प्रोग्राम्स के 2,461 छात्रों को खराब शैक्षणिक प्रदर्शन के कारण बाहर जाना पड़ा.

हालांकि अब खबर है कि IIT पढ़ाई में कमजोर छात्रों को तीन साल के बाद इंजीनियरिंग में B.Sc. डिग्री के साथ बाहर निकलने की अनुमति दे सकता है. एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, ये प्रस्ताव आईआईटी परिषद की बैठक में एजेंडे पर है. वर्तमान में सभी आईआईटी में अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम्स में दाखिला लेने वाले स्टूडेंट्स को आठ सेमेस्टर या चार साल पूरा करने के बाद बीटेक की डिग्री दी जाती है. हालांकि, कमजोर ग्रेड वाले छात्र बीच में ही छोड़ देते हैं.

मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा संसद में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो वर्षों में आईआईटी से बी.टेक और पोस्ट-ग्रेजुएट प्रोग्राम्स के 2,461 छात्र बाहर हुए. बाहर हुए छात्रों में कमजोर शैक्षणिक प्रदर्शन के कारण बाहर निकाले गए मामले शामिल हैं.

उदाहरण के लिए इस साल, आईआईटी-कानपुर ने खराब ग्रेड के आधार पर 18 छात्रों को निष्कासित किया, जिनमें से आधे बीटेक छात्र थे. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ऐसे छात्रों के लिए ही प्रस्ताव दिया है कि उन्हें आईआईटी से छह सेमेस्टर के बाद बाहर निकालने का विकल्प रखें.

रिपोर्ट में बताया गया है कि काउंसिल के एजेंडे के मुताबिक, IIT को अकादमिक रूप से कमजोर छात्रों को दूसरे सेमेस्टर के बाद B.Sc. के सेलेक्शन की अनुमति देने के प्रस्ताव को मंजूरी करने को कहा गया है, जिससे कि वे स्टूडेंट्स तीन साल के बाद छोड़ दें, बशर्ते वे न्यूनतम शैक्षणिक मानकों को पूरा कर चुके हों. अगर ये प्रस्ताव पास होता है तो सभी IIT संस्थानों में इसे वर्तमान शैक्षणिक सत्र से लागू किया जाएगा.