आज़ादी के प्रथम शहीद पत्रकार मौलवी मोहम्मद बाक़र पर सेमिनार

लखनऊ: देश के प्रथम शहीद पत्रकार मौलवी मोहम्मद बाक़र पर डा.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम ट्रस्ट एवं उ0प्र0 उर्दू अकादमी के संयुक्त तत्तवावधान में आज एक सेमिनार का आयोजन हुआ जिसमें मौलवी मो0 बाक़र के जीवन पर आज़ादी के लड़ाई के लिए किये कार्यो पर प्रकाश डाला गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महबूब अली (पूर्व शिक्षामंत्री उ0प्र0 व अध्यक्ष लोकसेवा समिति) ने अपनेे भाषण में कहां कि मौलवी मो0 बाक़र जैसे शहीदो की जीवनी को पाठ्यक्रम का में शामिल होना चाहिए, ताकि इस स्वतन्त्र भारत में रहने वाला नौजवान अपने पूर्वजो की बलि को स्मरण कर सके। मौलवी मो0 बाक़र को 16 सितम्बर 1857 को तोप के मुॅह पर बाधॅं कर उड़ा दिया गया। मै ऐसे महान क्रान्तिकारी को सलाम करता हूॅं, जिसने देश की आज़ादी के लिए तोप के मुॅह के आगे खड़ा होना गवारा किया, लेकिन अंग्रेज़ो से माफी न मांगी। आगे उन्होंने कहां कि मिज़ाइलमैन ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जन्मदिन को पर्यावरण दिवस के रुप में मनाया जाये और उसमें पेड़ लगाये जाये।

विशिष्ठ अतिथि आफताब अहमद खां (पूर्व डी.जी.पी सी.आर.पी.एफ.) ने कहां मुझे इस कार्यक्रम में आकर बहुत ही अच्छा लगा, मै डा0 कलाम का भक्त हूॅं, मैने कलाम साहब की किताब ‘विंगस ऑफ़ फायर’ पढ़ी, जिसकी प्रस्तावना अरुण तिवारी जी ने लिखा, जोकि कलाम साहब के साथ काम भी करते थे, उन्होंने लिखा जब मै बिमार था और कलाम साहब देखने आये, तो कलाम सहाब ने मुझसे पूछा, तुम क्या चाहते हो, मै उनसे कहां मै जीना चाहता हूॅं। तो कलाम साहब ने जानमाज़ बिछाकर वहीं नमाज़ पढ़ी और हमारे लिए दुआ की, और मै आज तक जिन्दा हूॅं। आगे आफताब ने कहां कलाम साहब इतिहास का एक सुनहरा और क़ीमती पन्ना जिसको नज़रअन्दाज नहीं किया जा सकता हैं।

विशिष्ठ अतिथि डा0(ब्रिगेडीयर) टी.प्रभाकर ने अपने भाषण में कहां कि मै अपने को खुश्नसीब समझता हूॅं कि मुझे कलाम के साथ वक़्त बिताने का मौक़ा मिला, जब उनका आपरेशन हुआ, तो मै भी आपरेशन करने वालों में शामिल था, उनका व्यवहार ऐसा था, कि वह सबको अपना बना लेते थे, मै उनके बुलावे पर पत्नि के साथ राष्ट्रपति भवन भी अतिथि के रुप में गया। आगे कहां कि मौलवी मो0 बाक़र वह शहीद है, जोकि पत्रकारिता की सच्चाई की एक हस्ताक्षर है, जिसका सम्मान आदर देशवासियों का कर्तव्य है और ख़ासका पत्रकारों का।

डा.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम ट्रस्ट के अध्यक्ष और कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अब्दुल नसीर नासिर ने कहां, कि आज मौलवी मो0 बाक़र का 162वां शहीद दिवस मनाया जा रहा है। मौलवी मो0 बाक़र अपनी क़लम से आज़ादी लौ को और रौशनी दी, जिसके सहारे क्रान्तिकारियों ने एक जुट होकर 1857 में अंग्रेज़ो को भारत से खदेड़ना की कसमें खां ली, जोकि अंग्रज़ों से बरदाश्त न हुआ और मौलवी वाक़र को तोप के मुॅह पर रखकर उड़ा दिया। क्रान्तिकारियों ने इसका बदला लखनऊ में लिया और जर्नल हडसन को बेगम कोठी के पास मौत के घाट उतार दिया।

कार्यक्रम का संचालन वामिक़ खान ने किया, अन्य सम्मानीय अतिथियों मो0 कलीम, आदिल फराज़, डा0 अनवर आलम, एस.एन.लाल, डा0 तारीक़ क़मर, प्रदीप जायसवाल, मौलवी शबाब, ग़ुफरान नसीम, साक्षी विद्यार्थी, अल्न ख़ान व सुल्ताना राव उपस्थित थी।