नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना को फ्रांस की ओर से पहला राफेल फाइटर जेट औपचारिक तौर पर सौंप दिया गया है। गुरुवार, 19 सितंबर को आखिरकार एयरफोर्स का इंतजार खत्म हो गया और राफेल की डिलीवरी की प्रक्रिया शुरु हो गई। रिपोर्ट के अनुसार उप वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल वीआर चौधरी ने भी लगभग एक घंटे तक विमान में उड़ान भरी।

गौरतलब है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह राफेल को वायुसेना में शामिल करने के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए 8 अक्टूबर को वायुसेना दिवस के मौके पर फ्रांस जाने वाले हैं। 8 अक्टूबर 2019 को देश में दशहरे का त्योहार भी मनाया जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा राफेल को वायुसेना में शामिल करने के कार्यक्रम में वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ भी मौजूद रहेंगे।

भारत ने फ्रांस के साथ सितंबर 2016 में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए सौदा हुआ था। यह सौदा 7 बिलियन यूरो यानी करीब 58 हजार करोड़ रुपए में किया गया था। यह बड़ा और प्रमुख रक्षा सौदा राजनीतिक विवाद का केंद्र बना था और विपक्षी दलों ने सौदे को लेकर लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था।

फिलहाल भारतीय वायुसेना को मिले राफेल लड़ाकू विमान फ्रांस में ही रहेंगे। राफेल की तैनाती भारतीय एयरबेस पर अप्रैल से मई 2020 के बीच होगी। साल 2022 तक सभी राफेल लड़ाकू विमान भारत आ जाएंगे। भारत को राफेल का अब तक का सबसे आधुनिक वर्जन मिलने जा रहा है जो फ्रांस की वायुसेना में उड़ान भरने वाले लड़ाकू विमानों से बेहतर होंगे। भारतीय परिस्थितियों और जरूरतों के हिसाब से फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन कंपनी ने इस विमान में कुछ बदलाव भी किए हैं। राफेल के साथ भारतीय वायुसेना को इसमें लगने वाली मीटियोर, माइका और स्कैल्प मिसाइलें भी मिलने जा रही हैं।