नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार अब सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों में अपनी हिस्सेदारी कम करने की तैयारी में है. सूत्रों का दावा था कि सरकारी हिस्सेदारी को कम करने के पीछे सरकार का इरादा इन सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को निजी क्षेत्र को सौंपना है.
गौरतलब है कि ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में नवरत्न कंपनी एनटीपीसी में इस समय सरकार की हिस्सेदारी 54 फीसदी है, जिससे इस इकाई पर सरकार का स्वामित्व है.
वहीं, सूत्रों का दावा है कि सरकार फिलहाल 54 फीसदी में से 10 फीसदी इक्विटी बेचने का फैसला लेने जा रही है, जिसके लिए ऊर्जा मंत्रालय के इशारे पर एनटीपीसी ने समूचा ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है और किसी भी समय दस फीसदी की इक्विटी सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर कर निजी क्षेत्रों को दे दी जाएगी.
जिसके बाद सरकार की हिस्सेदारी महज 44 फीसदी रह जाएगी. इसका सीधा अर्थ होगा कि निजी क्षेत्र में काम करने वाले औद्योगिक घराने अपनी मर्जी से सार्वजनिक क्षेत्र की इस इकाई का अध्यक्ष चुन सकेंगे और कंपनी का संचालन उसके तहत होगा.
एनटीपीसी अकेली सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई नहीं है जिसमें सरकार ने अपनी हिस्सेदारी कम करने की दिशा में प्रक्रिया प्रारंभ की है, जो अन्य कंपनियां सरकार एनटीपीसी के साथ-साथ शामिल की जा रही है उनमें नालको, इंडियन ऑयल और गेल के नाम भी शामिल हैं.
बीएसएनएल और एमटीएनएल के निजीकरण को लेकर पहले ही चर्चाएं चल रही हैं हालांकि सरकार की ओर से इनके निजीकरण का खंडन किया गया है.
एयर इंडिया को लेकर सरकार न केवल घोषणा कर चुकी है कि बल्कि एयर इंडिया का प्रबंधन इसे बेचने के लिए एड़ी से चोटी तक का जोर लगा रहा है. चूंकि बाजार में एयर इंडिया की खराब वित्तीय हालात हैं, इसलिए कोई एयर इंडिया पर दांव लगाने के लिए तैयार नहीं है.
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