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सिनेमाहालों में हॉरर फ़ैलाने वाले फिल्म निर्माता श्याम रामसे का निधन

नई दिल्ली: ‘पुरानी हवेली’ और ‘तहखाना’ जैसी हॉरर फिल्मों के लिए चर्चित ‘रामसे ब्रदर्स’ में से एक श्याम रामसे का आज सुबह मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। उनके परिजनों ने बताया कि 67 वर्षीय श्याम रामसे न्यूमोनिया से पीड़ित थे। श्याम के एक संबंधी ने पीटीआई को बताया ‘‘स्वास्थ्य ठीक न होने की वजह से उन्हें दो-तीन दिन पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बुधवार तड़के 5 बजे न्यूमोनिया से उनका अस्पताल में देहांत हो गया।’’ श्याम रामसे के परिवार में उनकी दो बेटियां साशा और नम्रता हैं।

श्याम भारतीय सिनेमा में हॉरर फिल्मों की वजह से लंबे समय तक एक खास जगह रखने वाले रामसे ब्रदर्स में से एक थे। रामसे ब्रदर्स ने 1970 और 1980 के दशक में कम बजट में हॉरर फिल्में बनाईं, जिन्हें दर्शकों ने खूब सराहा।

माना जाता है कि इन हॉरर फिल्मों के पीछे असली सोच श्याम रामसे की होती थी। उन्होंने ‘दरवाजा’, ‘पुराना मंदिर’, ‘वीराना’ और ‘द जी हॉरर शो’ जैसी फिल्मों का निर्देशन किया था।

रामसे ब्रदर्स के यहां तक पहुंचने की कहानी अविभाजित भारत के कराची में रेडियो की एक छोटी सी दुकान से शुरू होती है। विभाजन के बाद दुकान के मालिक फतेहचंद रामसिंघानी मुंबई आ गए। इसके बाद उन्होंने फिल्म निर्माण में हाथ आजमाने का फैसला किया।

रामसिंघानी ने ही अपने नाम के आगे ‘रामसे’ लगाया। इसके बाद उन्होंने ‘शहीद-ए-आजम भगत सिंह’ (1954) और ‘रुस्तम सोहराब’ (1963) का निर्माण किया, जिसमें पृथ्वीराज कपूर और सुरैया ने मुख्य किरदार निभाया था।

रामसिंघानी की दोनों फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर खूब जादू बिखेरा। इसके बाद वह एक-एक करके अपने सातों बेटों कुमार, तुलसी, श्याम, केशु, किरन, गांगुली और अर्जुन को फिल्म निर्माण में ले आए। ऐसे में उनकी पहचान ‘रामसे ब्रदर्स’ के रूप में हुई।

बता दें कि रामसे ब्रदर्स को पृथ्वीराज कपूर और शत्रुघ्न सिन्हा अभिनीत ‘एक नन्ही मुन्नी सी लड़की’ (1970) की असफलता से नुकसान उठाना पड़ा था। इसके बाद सभी भाइयों ने मिलकर हॉरर फिल्म ‘दो गज जमीन के नीचे’ (1972) का निर्माण किया। फिल्म खूब चली, जिससे सभी भाइयों के अलावा भारतीय हॉरर फिल्म उद्योग को भी फायदा हुआ।

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