लखनऊ: किसी भी राष्ट्र की पहचान उसकी भाषा और उसकी संस्कृति से होती है और पूरे विश्व में हर देश की अपनी एक भाषा एवं अपनी संस्कृति है जिसकी छांव में लोग पले-बढ़े होते है। जिस भाषा को आप बचपन से बोलते हैं यदि उसी भाषा में अपने सारे कार्य करने पड़े तो आपको आगे बढ़ने में ज्यादा कठिनाई न होगी। उक्त विचार राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (नाइपर-आर) के निदेशक डा0 एस0 जे0 एस0 फ्लोरा ने व्यक्त किये। वह संस्थान के हिन्दी पखवाडे़ के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्य अतिथि जितेन्द्र त्रिवेदी , निदेशक (राजभाषा ) औषध विभाग, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय भारत सरकार, निदेशक डा0 एस0 जे0 एस0 फ्लोरा और डीन डा0 आर0 पी त्रिपाठी ने संयुक्त रूप से मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्जवलन किया। मुख्य अतिथि ने बताया कि देश के सभी प्रांतो से लोगों को साथ लेकर पारस्परिक सहमति से एकजुट होकर ही मातृृभाषा को बढ़ावा दिया जा सकता हैं। हिन्दी समिति की अध्यक्ष दीपिका सिन्हा ने बताया कि 11-20 सितम्बर तक चलने वाले इस कार्यक्रम में हिन्दी को बढ़ावा एवं लोगों को उत्साहित करने हेतु विभिन्न प्रतियोगिताओं जैसे वाद-विवाद,पोस्टर प्रतियोगिता, निबंध लेखन प्रतियोगिता, हिन्दी टाइपिंग आदि का आयोजन किया जायेगा। इस अवधि के दौरान विभिन्न व्याख्याता अपने व्याख्यान देगें। अंत में संस्थान के निदेशक महोदय, मुख्य अतिथि एवं डीन डा0 त्रिपाठी ने सभी को हिन्दी पखवाड़े की शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम में सभी शिक्षकगण, कर्मचारीगण एवं विद्यार्थी सहित तमाम लोग उपस्थित थे।
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