बच्चों के कैंसर के इलाज को भारत में प्राथमिकता हेतु कैनकिङ का राज्यस्तरीय कार रैली कार्यकर्म

लखनऊ: देशभर में बच्चो के कैंसर हेतु कार्य करने वाली संस्था कैनकिङ बच्चो में होने वाले कैंसर जागरूकता अभियान महीना ( गौरतलब है कि सितंबर को बच्चों के कैंसर के संबंध में जनजागरूकता जगाने का महीना कहा जाता है) पर उत्तर प्रदेश में कार रैली का का आयोजन कर रही है जो की पुरे राज्य में “हक की बात” अभियान नाम से ४ से ९ सितम्बर तक हो रहा है। अभियान की शुरुवात किंग जॉर्ज मेडिकल के वाईस चेयरमैन डॉ एम एल बी भट्ट झंडा दिखा कर इसकी शुरुवात करेंगे।

बचपन में कैंसर की जंग जीत चुके कैंसर सर्वाइवर्स के नेतृत्व में जागरूकता अभियान “हक की बात” चलाया गया है। इस कैंपेन में कैंसर सर्वाइवर्स बच्चे कैंसर से जूझ रहे अपने साथियों को इलाज की सुविधाएं मुहैया करने के अधिकार पर प्रधानमंत्री से सवाल पूछेंगे। कैंसर सर्वाइवर्स ने अपने हक पर प्रधानमंत्री से बात करने के लिए प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में जाने का फैसला किया है। लखनऊ से बनारस जाते समय ये कैंसर सर्वाइवर्स लखनऊ की किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में कैंसर पीड़ित बच्चों के समर्थन में पेडिएटिक ओनक्लोजी ( कैंसर विभाग ) को गोल्डन लाइटिंग करेंगे।

गोल्ड बच्चों के कैंसर का प्रतीक रंग है। इस अभियान के तहत कैंसर से जूझ रहे बच्चों के हिम्मत और साहस के प्रतीक के रूप में अस्पतालों को गोल्डन रंग की रोशनी से सजाया जाता है।

कैंसर पर जीत हासिल कर चुके संदीप यादव और विकास यादव ने चाइल्ड कैंसर के इलाज को प्राथमिकता देने का बीड़ा उठा लिया है। मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी से ताल्लुक रखने वाले कैंसर सर्वाइवर्स ने एक विडियो बनाया है। विडियो में बचपन में कैंसर से जंग जीत चुके संदीप और विकास का कहना है, “हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र में जा रहे हैं। मन की बात में हमारे प्रधानमंत्री देश के नागरिकों से अपने मन की बात करते हैं। हमें यह देखकर अच्छा लगा कि देश का कोई नेता देश के नागरिकों से इस तरह खुले दिल से हम उनसे कैंसर से जूझ रहे बच्चों के इलाज को प्राथमिकता देने और इलाज की सारी सुविधाएं मुहैया कराने पर बात करना चाहते हैं। हम उनसे अपने हक की बात करना चाहते हैं।“

कैंसर सर्वाइवर्स ने कहा, “हम प्रधानमंत्री से पूछना चाहते हैं कि कैंसर से जूझ रहे 76 हजार बच्चों से केवल 15 हजार बच्चे ही क्यॆं अस्पताल पहुंच पाते हैं। मुझे जब कैंसर था, तब मुझे 22 अस्पतालों में क्यों जाना पड़ा, कैंसर के इलाज के संबंध में अस्पतालों और डॉक्टरों के पास जानकारी कम क्यों है, इसका नतीजा यह होता है कि जब तक वह इलाज के लिए सही अस्पताल में पहुंचते हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।“ संदीप ने कहा कि हम हक की बात अभियान के तहत प्रधानमंत्री से मन की बात में यह पूछना चाहते हैं कि विकसित देशों में कैंसर से जूझ रहे 90 फीसदी बच्चे ठीक हो जाते हैं, मगर भारत में क्यों नहीं होते। उन्होंने कहा, “ हम यह पूछना चाहते हैं कि मैं जिस शहर में पैदा हुआ, उस शहर में मुझे कैंसर के इलाज के लिए बेहतर दवाएं, अस्पताल और इलाज के अच्छे संसाधन क्यों नहीं मिले?”

विडियो में प्रधानमंत्रा से मन की बात के तहत अपने हक की बात करने के लिए कैंसर पीड़ित बच्चों ने यह सवाल भी तैयार किया है कि मार्फिन न होने के कारण कैंसर से जूझ रहे बच्चे को बेमतलब का दर्द झेलना पड़ता है। बच्चे पूछना चाहते हैं, हमारे से कई दोस्तों की फैमिली ने अपने बच्चों के कैंसर के इलाज में सब कुछ गंवा दिया। उनके परिवार अपने बच्चों का इलाज कराने की वजह से पहले से ज्यादा गरीब और लाचार बन गए।

संदीप और विकास किड्सकैन कनेक्ट- द टीनएज और यंग एडल्ट चाइल्डहुड कैंसर ग्रुप ऑफ किनकैड्स से संबंधित है। एक एक एनजीओ है जो बच्चों के कैंसर की इलाज की दिशा में काम कर रहा है। कैनकिड्स ने 69 कैंसर सेंटर से पार्टनरशिप की है। इसी के साथ अब कैनकिड्स देश भर में कुल मिलाकर 22 राज्यों और 42 शहरों में 97 कैंसर सेंटरों के साथ साझेदारी में काम कर रहा है। 10 राज्यों में परियोजनाएं स्थापित की है। पंजाब और महाराष्ट्र सरकार के साथ उनके नॉलेज पार्टनर के रूप में किड्सकैन ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। पिछले साल कैंसर सर्वाइवर्स ने मुंबई में छत्रपति शिवाजी टर्मिनल, गेटवे ऑफ इंडजिया और औरंगाबाद में बीबी का मकबरा पर गोल्डन रोशनी की थी। उन्होंने बच्चों के इलाज को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से चलाए गए अभियान के तहत महाराष्ट्र के 3 खंडों में 1100 किमी की कार रैली निकाली थी। फरवरी 2019 में कैनकिड्स मे महाराष्ट्र सरकार के साथ एमोयू पर हस्ताक्षर किए।

“हक की बात” कैंसर सर्वाइवर्स की ओर से बच्चों के कैंसर के इलाज के संबंध में जनजागरूकता जगाने के विषय में शुरू किया अभियान है। यह अभियान बच्चों के कैंसर के इलाज को भारत में प्राथमिकता देना सुनिश्चित करेगा। इस अभियान में सभी हितधारकों, अस्पताल, नर्सों, स्कूल, कॉलेजों और सरकार को शामिल किया जाएगा। इस अभियान के तहत सर्वाइवर की गतिविधियों, मैराथन और रैलियां भी आयोजित की जाएगी। इस अभियान का मकसद कैंसर के इलाज के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता उत्पन्न करना, कैंसर के इलाज के लिए आर्थिक संसाधन जुटाना और बच्चों के कैंसर के इलाज के लिए फ्रेंडली नीतियां बनाने पर जोर डालना होगा। गौरतलब है कि भारत में कैंसर से जूझ रहे 40 फीसदी बच्चे ही कैंसर की जंग में जीत पाते हैं, जबकि दुनिया में कैंसर से पीड़ित 90 फीसदी बच्चों को जिंदगी मिल जाती है।