नई दिल्ली: इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद (IIM-A) की ओर से कराए गगए मंथली बिजनेस इन्फ्लेशन एक्सपेक्टेशंस सर्वे (BIES) में खुलासा हुआ है कि जुलाई में देश की बहुत सारी कंपनियों के मुनाफे पर तगड़ी चोट लगी है। जुलाई महीने की बात करें तो सर्वे में शामिल की गईं 1600 कंपनियों में से तीन चौथाई यानी करीब 1200 कंपनियों ने ‘सामान्य से कम’ बिक्री की बात मानी। वहीं, करीब आधी कंपनियों ने माना कि ‘प्रॉफिट मार्जिन सामान्य से बेहद कम’ रहा।

इस सर्वे की शुरुआत मई 2017 में हुई थी। इसमें उन बिजनेस ईकाइयों को शामिल किया गया था जो अधिकतर मैनुफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़ी हुई थीं। सर्वे में पाया गया कि अधिकतर कंपनियों ने अपनी सेल्स ‘सामान्य से कम या बहुत कम’ माना। यहां सामान्य का मतलब पिछले तीन सालों का औसत स्तर है। सर्वे में इस साल जुलाई में ‘सामान्य से बेहद कम मुनाफा’ बताने वाली कंपनियों की तादाद करीब 54 प्रतिशत रही। अप्रैल 2019 में ऐसी कंपनियों की संख्या 45 प्रतिशत थी।

सर्वे से जुड़ी आधिकारिक रिलीज के मुताबिक, सामान्य से बेहद कम मुनाफा घोषित करने वाली कंपनियों का आकड़ा पहली बार जून 2019 में 50 फीसदी के स्तर को पार कर गया। वहीं, दूसरी ओर, सर्वे के सैंपल में शामिल की गई कंपनियों में ‘सामान्य या सामान्य से ज्यादा’ मुनाफा बताने वाली फर्म की तादाद जुलाई में घटकर 20 फीसदी रह गई। सर्वे के मुताबिक, जुलाई 2019 में प्रॉफिट मार्जिन से जुड़े हालात और खराब हो गए।

ये रिपोर्ट ऐसे वक्त में सामने आई है जब अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर नकारात्मक खबरों का दौर जारी है। सोमवार को खबर आई कि कोयला, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस और रिफाइनरी उत्पादन घटने से आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर जुलाई में गिर कर 2.1 प्रतिशत पर आ गई है। जुलाई, 2018 में बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रही थी।

आंकड़ों के अनुसार मुख्य रूप से कोयला, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस और रिफाइनरी उत्पादों का उत्पादन घटने से बुनियादी उद्योगों की वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ी है। इस दौरान इस्पात, सीमेंट और बिजली के उत्पादन में वृद्धि भी धीमी रही। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में आठ बुनियादी उद्योगों का भारांश 40.27 प्रतिशत है। बता दें कि आठ बुनियादी उद्योगों में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली आते हैं।