नई दिल्ली: देश में राजमार्गों व सड़कों का निर्माण करने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) कर्ज के बोझ तले दब गया है। अथॉरिटी की इस स्थिति के बाद मोदी सरकार ने उसे पत्र लिखकर राजमार्गों के निर्माण पर रोक लगाने को कहा है।

एनडीटीवी की खबर के अनुसार पिछले 5 साल के दौरान प्राधिकरण के कर्ज सात गुना अधिक बढ़ गया है। पीएमओ की तरह से 17 अगस्त को लिख गए पत्र में कहा अथॉरिटी से कहा गया कि अनियोजित और सड़कों के अधिक विस्तार के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण में पूरी तरह से गतिरोध पैदा हो गया है।

इसमें कहा गया कि एनएचएआई ने भूमि की लागत का कई गुना अधिक भुगतान करने के लिए बाध्य किया। इसके द्वारा निर्माण की जा रही सड़कों की लागत में वृद्धि हुई। इससे सड़क का बुनियादी ढांचा आर्थिक रूप से अस्थिर हो गया है।” ब्लूमबर्ग के मिले दस्तावेजों के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी के कार्यालय ने एनएचएआई को रोड असेट्स मैनेजमेंट कंपनी के रूप में बदलने का प्रस्ताव किया है।

खबर के अनुसार पीएमओ ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से इस बारे में एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। पीएमओ ऑफिस का यह निर्णय पीएम मोदी के पहले कार्यकाल के बिल्कुल विपरीत है। मालूम हो कि पहले कार्यकाल में मोदी सरकार ने देश में हाईवे के तेजी से निर्माण के लिए एनएचएआई की तारीफों के पुल बांध रही थी। सरकार का कहना था कि प्राधिकरण ने भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनने में मदद की है।

एसबीआईकैप सिक्योरिटीज लिमिटेड के अनुसार मौजूदा समय में एनएचएआई पर 1.8 खरब रुपये का कर्ज है। प्राधिकरण की तरफ से इस कर्ज पर 140 अरब रुपये ब्याज का भुगतान किया जा रहा है। जबकि प्राधिकरण को विभिन्न राजमार्गों पर टोल के रूप में 100 अरब रुपये की कमाई करती है। एंटीक स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड के विश्लेषक रोहित नटराजन के अनुसार प्राधिकरण पर वित्त वर्ष 2020 में 56 अरब रुपये, वित्त वर्ष 2021 में 66 अरब रुपये और वित्त वर्ष 2023 में 47 अरब रुपये की कर्ज देयता होने का अनुमान है।

जानकारों का कहना है कि कर्ज बढ़ने पर प्राधिकरण को सड़क निर्माण परियोजनाओं को धीमा करना पड़ेगा या फिर सरकार आर्थिक विकास में गति के लिए प्राइवेट साझेदारों पर निर्भर होगी। सड़क निर्माण करने वाली कई निजी कंपनियां भारी निवेश के कारण बीओटी प्रोजेक्ट में रुचि नहीं दिखाती हैं।