लखनऊ: दुनियाभर में विभिन्न गंभीर बीमारियों से लड़ने के लिए नई तकनीकों की खोज के साथ ही नई औषधियों का निर्माण किया जा रहा है। विश्व भर में वैज्ञानिक और शोधार्थी इस दिशा में प्रयासरत हैं। इन सभी प्रयासों को एक मंच पर लाने और विश्व के अलग अलग स्थानों पर हो रहे प्रयोगों से परिचित होने के लिए स्वास्थ्य एवं जैवतकनीकी पर तीसरे वर्ल्ड कांग्रेस का आयोजन मलेशिया के कुआलम्पुर शहर में किया गया।
वर्तमान स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में नवीनतम जैवतकनीकि का योगदान, विषयक इस तीसरे वल्र्ड कांग्रेस में दुनियाभर के बायोटैक्नालाजी और स्वास्थ्य सेवाओं से जुडे वैज्ञानिक, शिक्षाविद्, शोधार्थी और इडस्ट्री से जुडे विशेषज्ञों ने भाग लिया।
लखनऊ से एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ़ फार्मेसी, एमिटी विश्व विद्यालय लखनऊ की निदेशिका एवं डिप्टी डीन, शोधकार्य सुनीला धनेश्वर इस तीसरे वर्ल्ड कांग्रेस में शामिल हुईं और वहां अपने शोध दवाओं के पुनः उपयोग-पुरानी दवाओं के लिए नवीन पद्धति विषय पर संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने अल्सरेटिव कोलाइटिस पर विशेष व्याख्यान दिया।
प्रोफेसर सुनीला धनेश्वर कुआलालम्पुर के मोनाश विश्वविद्यालय एवं अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा विश्व विद्यालय कुआलालम्पुर में भी प्रोड्रग स्ट्रेटजीस पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया।
इस तीसरे वर्ल्ड कांग्रेस में 25 देशों के ख्यातिलब्ध वैज्ञानिकों, जैववैज्ञानिक, चिकित्सा रसायनशास्त्री, न्यूक्लियर केमिस्ट्री, फर्मास्यूटिकल साइंस और मेडीसिन एवं बेसिक साइंस से जुडें विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया और अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए।
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