नई दिल्ली: मोदी सरकार की सबसे बड़ी महत्वाकांक्षी योजनाओं में शुमार “भारतमाला” अपने तय समय से काफी पीछे चल रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देश को 34,000 किलोमीटर के हाईवे नेटवर्क से जोड़ने वाली इस परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य 2022 तक निर्धारित है। लेकिन इसके पूरा होने की उम्मीद कम ही लग रही है। प्रॉजेक्ट में देरी की वजह से अब इसकी लागत में भी भारी-भरकम इजाफा होता जा रहा है। भारतमाला योजना के बजट में पहले के मुकाबले अब 143 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। द प्रिंट में छपे रिपोर्ट के मुताबिक जब केंद्रीय कैबिनेट ने 2017 में योजना के पहले चरण को स्वीकृति दी थी तब इसका बजट 5.35 लाख करोड़ रुपये का था, लेकिन अब यह 13 लाख करोड़ रुपये का हो चुका है।

अधिकारियों के अनुसार, अक्टूबर 2017 के बाद से भूमि अधिग्रहण की लागत तीन गुना से अधिक बढ़ गई है। द प्रिंट ने एक अधिकारी के हवाले से बताया है कि सिविल कंस्ट्रक्शन की प्रचलित लागत भी (मुद्रास्फीति के कारण) बढ़ गई है। 2013 में नया भूमि अधिग्रहण कानून लागू होने के बाद से भूमि अधिग्रहण की लागत बढ़ी है। ऐसी स्थिति में सड़क एवं परिवहन मंत्रालय पर ज्यादा दबाव बढ़ गया है। मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि इस योजना को संचालित करने वाला केंद्रीय सड़क एवं परिवहन तथा राजमार्ग मंत्रालय संशोधित बजट की मंजूरी के लिए इसे जल्द ही कैबिनेट के समक्ष पेश करने वाला है। यह न केवल महत्वाकांक्षी कार्यक्रम की पूर्ण समय सीमा को पूरा करेगा, बल्कि मंत्रालय पर अतिरिक्त संसाधनों के लिए अधिक दबाव भी डालेगा।

द प्रिंट की रिपोर्ट में एक अधिकारी ने बताया, “मंत्रालय को 2022 की डेडलाइन का विस्तार करना होगा। पहले चरण के लिए 5.35 लाख करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी गई थी, जिसे 2017 और 2022 के बीच लागू किया जाना था। लेकिन अभी यह डेडलाइन किसी भी सूरत में पूरी नहीं हो सकती।” भारतमाला योजना के पहले चरण में सरकार का उद्देश्य तटीय और पोर्ट कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के साथ-साथ विनिर्माण हब के आसपास आर्थिक गलियारों के माध्यम से चलने वाले 34,800 किलोमीटर राजमार्गों को विकसित करना है। अन्य लक्ष्यों के बीच लगभग 1,837 किलोमीटर नए एक्सप्रेसवे परियोजना के तहत विकसित किए जाएंगे। जिसकी वजह से नौकरियों के सृजन से भारत की सुस्त अर्थव्यवस्था को एक बड़ी संभावना मिलेगी। मार्च 2019 तक मंत्रालय ने 10,000 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ भारतमाला के तहत 9,613 किलोमीटर फैले 255 सड़क परियोजनाओं को मंजूरी दी थी।