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आईएनएक्स मीडिया मामला: सुप्रीम कोर्ट का चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुनवाई से इंकार

नई दिल्ली: आईएनएक्स मीडिया मामले में राहत पाने की उम्मीद कर रहे पूर्व गृह मंत्री पी.चिदंबरम को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि वह दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा खारिज की गई अग्रिम जमानत याचिका को सामान्य जमानत याचिका में तब्दील नहीं कर सकता और इसके साथ ही कोर्ट ने सीबीआई से प्रोटेक्शन दिलाने संबंधी चिदंबरम की याचिका पर सुनवाई करने से यह कहकर इंकार कर दिया कि अब यह निष्फल है, क्योंकि चिदंबरम पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं।

न्यायमूर्ति आर. भानुमति और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने कहा कि चिदंबरम को कानून के तहत इसका उपाय ढूंढने की छूट है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम की सीबीआई हिरासत की अवधि आज समाप्त हो रही है। उन्हें निचली अदालत में पेश किया जाएगा जहां एजेंसी उनकी हिरासत अवधि बढ़ाने की मांग कर सकती है। फिलहाल, उच्च न्यायालय की पीठ आईएनएक्स मीडिया घोटाला प्रकरण के संबंध में पूर्व वित्त मंत्री के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन के मामले से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने आईएनएक्स मीडिया मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शुक्रवार को चिदंबरम को 26 अगस्त तक गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दिया था। वह भ्रष्टाचार के मामले में 26 अगस्त तक पूछताछ के लिये सीबीआई की हिरासत में हैं।

बता दें कि अपनी याचिका में चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामलों में अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।

चिदंबरम की कई याचिकाओं पर दलीलें पेश करने के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोप लगाया था कि उन्होंने उस समय आईएनएक्स मीडिया समूह के प्रोमोटरों पीटर और इंद्राणी मुखर्जी से ‘‘उनके बेटे का ध्यान रखने’’ के लिए कहा था जब वे विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी के लिए उनसे मिले थे।

ईडी ने यह भी आरोप लगाया था कि जांच में उसने पाया कि चिदंबरम के पास 11 ‘‘अचल संपत्तियां’’ और विदेशों में 17 बैंक खाते थे इसलिए इस मामले में बड़ी साजिश का खुलासा करने के लिए उनसे हिरासत में पूछताछ की जरूरत है। ईडी की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दावा किया था कि जांच के दौरान ‘‘सबसे हैरान करने वाली बात’’ पता चली कि जिन लोगों के नाम पर फर्जी कंपनियां बनाई गई, उन्होंने चिदंबरम की पोती के नाम पर एक वसीयत बनाई थी।

वहीं, चिदंबरम के वकीलों ने ईडी की दलीलों का विरोध करते हुए कोर्ट से कहा था कि उन्होंने जांच के दौरान एजेंसी के साथ सहयोग किया और उनसे हिरासत में पूछताछ की कोई जरूरत नहीं है। बता दें कि चिदंबरम के वित्त मंत्री रहने के दौरान 2007 में आईएनएक्स मीडिया समूह को
एफआईपीबी की मंजूरी दिलाने में बरती गई कथित अनियमितताओं को लेकर सीबीआई ने 15 मई 2017 को एक एफआईआर दर्ज की थी। यह मंजूरी 305 करोड़ रुपये का विदेशी धन प्राप्त करने के लिए दी गई थी। इसके बाद, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी 2017 में इस सिलसिले में मनी लॉन्ड्रिंग का एक मामला दर्ज किया था।

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