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सुप्रीम कोर्ट ने चिदंबरम को नहीं दी राहत, सोमवार को करेगा सुनवाई

नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चिदंबरम के वकील से कहा कि आपकी दो याचिकाएं हैं, आप बहस करना चाहते हैं? चिदंबरम की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि हां, हम बहस करेंगे. इस पर सीबीआई ने कहा कि चिदंबरम अभी हिरासत में हैं, याचिका कहीं नहीं ठहरती. इस पर सिब्बल ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने शाम चार बजे आदेश दिया, हम तुरंत सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और सीजेआई से अनुरोध किया. हमने रातभर याचिका तैयार की. सीजेआई ने अगले दिन मेंशन करने को कहा. सुबह याचिका दाखिल की. हमने सुबह मेंशन किया, दोपहार दो बजे मेंशन किया. तब तक चिदंबरम को गिरफ्तार नहीं किया गया था. चार बजे का इंतजार करने का कहा गया. मुझे सुनवाई का मौलिक अधिकार है. मुझे जीने का अधिकार है, हमारा केस सुना जाना चाहिए. चिदंबरम की ओर से वकील ने कहा, हम वक्त पर सुप्रीम कोर्ट आए थे.

कोर्ट ने पूछा कि चिदंबरम कब तक पुलिस रिमांड पर हैं तो बताया गया कि सोमवार तक सीबीआई कोर्ट रिमांड दे चुकी है. तो कोर्ट ने कहा कि ऐसे में केस को क्या मंगलवार को सुना जाए. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिका प्रभावहीन हो गई है. सीबीआई कोर्ट ने सोमवार तक रिमांड दिया है. हम सोमवार को सुनवाई करेंगे. सिब्बल ने कहा कि हमने सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी को चुनौती दी है. कोर्ट उस पर भी सोमवार को सुनवाई करेगा.

इसके बाद ED केस में चिदंबरम की याचिका पर बहस हुई. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति हिरासत में है तो अग्रिम जमानत पर सुनवाई नहीं हो रही है. लेकिन सिब्बल ने कहा CBI रिमांड आदेश को चुनौती देंगे, इसके लिए याचिका तैयार है. कोर्ट ने कहा कि इस पर सोमवार को सुनवाई होगी.

सिब्बल ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट में ED ने कोई हलफनामा दाखिल नहीं किया. बहस खत्म होने के बाद जज को एक जांच का नोट दे दिया गया. हमें उसका जवाब देने का वक्त नहीं दिया गया. हाईकोर्ट जज ने उसी नोट को अपने फैसले में कॉपी पेस्ट कर दिया.

चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई कोर्ट के रिमांड को भी चुनौती दी है. इस पर भी सोमवार को सुनवाई होगी. चिदंबरम की ओर से सिब्बल ने कहा कि हाईकोर्ट ने दोषी ठहरा दिया है. कभी भी जवाब देने का वक्त नहीं मिला. क्या ये आधार हो सकता है अग्रिम जमानत खारिज करने का? हाईकोर्ट ने सात महीने तक फैसला सुरक्षित रखा. फैसले में जज ने ED के नोट के शब्द हूबहू लिख दिए. कोर्ट ने ED की फाइंडिग को अपना बना लिया.

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