लंदन: इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली जा रही मौजूदा एशेज सीरीज में दोनों टीमों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। दोनों टीमों के प्रदर्शन से इतर यह सीरीज कई और मायने में हमेशा के लिए यादगार भी बनती जा रही है। एजबेस्टन में खेले गए सीरीज के पहले टेस्ट मैच के साथ ही वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का आगाज हुआ। वहीं इस मैच में दोनों टीमों के खिलाड़ी पारंपिरक सफेद जर्सी में नाम और नंबर के साथ पहली बार टेस्ट क्रिकेट खेलने के लिए मैदान में उतरे। इसके बाद लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान में खेले गए सीरीज के दूसरे टेस्ट मैच के दौरान भी एक बड़ा बदलाव क्रिकेट प्रशंसकों को देखने को मिला। आईसीसी द्वारा टेस्ट क्रिकेट में लागू किए गए इस बदलाव की हर जगह तरफ प्रशंसा हो रही है।

आईसीसी ने एशेज सीरीज के साथ ही टेस्ट क्रिकेट में एक नया नियम भी लागू कर दिया। ये नियम था कन्कशन सब्स्टीट्यूट का। ये ऐसा नियम है जिसे खिलाड़ियों की सुरक्षा के साथ-साथ टेस्ट क्रिकेट के रोमांच को बरकरार रखने के लिए लागू किया गया है। इसी नियम के तहत जोफ्रा आर्चर की खतरनाक बाउंसर पर घायल होने के बाद ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान स्टीव स्मिथ की जगह दूसरी पारी में मार्नस लाबुशाने बल्लेबाजी करने उतरे। इसके साथ ही टेस्ट क्रिकेट का 142 साल पुराना इतिहास बदल गया। लाबुशाने का नाम टेस्ट क्रिकेट इतिहास में पहले सब्स्टीट्यूट प्लेयर के रूप में हमेशा के लिए दर्ज हो गया।

लॉर्डस में खेले जा रहे एशेज सीरीज के दूसरे टेस्ट मैच के दौरान स्टीव स्मिथ ने अपने शानदार फॉर्म को जारी रखते हुए अर्धशतक जड़ा। इंग्लैंड ने टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करते हुए पहली पारी में 258 रन का स्कोर खड़ा किया। इसके जवाब में खेलने उतरी ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए एक बार फिर स्टीव स्मिथ संकट मोचक बने। उन्होंने शानदार अर्धशतक जड़ा। लेकिन जब वो 152 गेंदों पर 80 रन बनाकर खेल रहे थे तब अपना डेब्यू टेस्ट खेल रहे तेज गेंदबाज जोफ्रा आर्चर की 148 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार वाली गेंद टप्पा खाकर स्टीव स्मिथ की गर्दन पर जा लगी। गेंद के लगते ही स्मिथ गिर पड़े। ऐसे में उन्हें रिटायर्ड हर्ट होकर मैदान से बाहर जाना पड़ा तब ऑस्ट्रेलिया का स्कोर छह विकेट पर 203 रन था। उनकी चोट गंभीर थी लेकिन 40 मिनट बाद वो एक बार फिर बल्लेबाजी करने उतरे और 92 रन बनाकर आउट हो गए। स्मिथ के 234 के स्कोर पर आउट होने के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम 250 रन पर ढेर हो गई।

दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया ने स्मिथ को मैदान पर दोबारा बल्लेबाजी के लिए भेजने का जोखिम नहीं उठाया और आईसीसी द्वारा लागू किए गए कन्कशन सबस्टीट्यूट के नियम का इस्तेमाल किया। पांचवें दिन ऑस्ट्रेलिया ने मार्नस लाबुशाने को बतौर कन्कशन सब्सटीट्यूट टीम में शामिल किया। लाबुशाने को महज आधे घंटे पहले मालूम हुआ कि वो दूसरी पारी में स्मिथ की जगह बल्लेबाजी करने उतरेंगे। चौथी पारी में जीत के लिए 267 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरे ऑस्ट्रेलियाई टीम ने महज 19 रन के योग पर डेविड वॉर्नर और उस्मान ख्वाजा के विकेट गंवा दिए थे। ऐसे में चार नंबर पर स्मिथ की जगह लाबुशाने बल्लेबाजी करने उतरे। उन्होंने बल्लेबाजी करते हुए पांचवें विकेट के लिए ट्रेविस हेड के साथ बल्लेबाजी करते हुए स्कोर को 132 रन के स्कोर तक पहुंचाया। इसी साझेदारी की वजह से ही मैच बराबरी पर समाप्त हुआ। लाबुशाने ने 100 गेंद पर 59 रन की पारी खेली। यदि चोटिल स्टीव स्मिथ की जगह अन्य खिलाड़ी को शामिल करने का नियम नहीं होता तो हो सकता है ऑस्ट्रेलिया मैच गंवा देता लेकिन इस नियम ने ऑस्ट्रेलियाई टीम को जीवन दान दे दिया।

इस नियम के तहत खेल के दौरान सिर में चोट की चोट की वजह से मैच से बाहर होने वाले खिलाड़ी की जगह अन्य खिलाड़ी( सबस्टीट्यूट) को खेलने की अनुमति दी जाती है। विश्व कप 2019 के बाद लंदन में आयोजित आईसीसी की सालाना बैठक में इस नियम को लागू करने के लिए हरी झंडी दिखाई गई। इस नियम के अनुसार हर टीम के पास एक कन्कशन सब्स्टीट्यूट होगा। जिसे कुछ शर्तों के पूरा होने पर ही मैदान में उतरने का मौका मिलेगा। पहला नियम यह है कि यदि मैदान पर उपस्थित डॉक्टर खिलाड़ी के सिर पर गंभीर चोट लगने की पुष्टि करता है तो इसकी सूचना मैच रेफरी को देने के बाद उस खिलाड़ी की जगह अन्य खिलाड़ी( कन्कशन सब्स्टीट्यूट) को खेलने की अनुमति मिलेगी। वह खिलाड़ी टेस्ट क्रिकेट दोबारा नहीं खेल सकता जबतक कि कोई मेडिकल प्रैक्टिशनर इसके लिए उसे फिट घोषित कर अनुमति न दे। सिर की जगह शरीर के अन्य अंगों में लगने वाली चोट की वजह से मैदान में नहीं उतरने वाले खिलाड़ी के लिए ये नियम लागू नहीं होता।

टेस्ट क्रिकेट में कन्कशन सब्सटीट्यूट की मांग में तेजी नवंबर 2014 में ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट क्रिकेटर फिल ह्यूज की शेफील्ड शील्ड टूर्नामेंट के मैच के दौरान सिर में चोट लगने की वजह से हुई मौत के बाद आई थी। ऐसे में ऑस्ट्रेलिया ने अपने घरेलू क्रिकेट में ऐसा करने की अनुमति दे दी। इसी के आधार पर आईसीसी ने टेस्ट क्रिकेट में इस बदलाव को मंजूरी दी। इस बदलाव के साथ ही टेस्ट मैचों में दोनों टीमों का संतुलन बरकरार रहेगा। चोटिल खिलाड़ी की वजह से मुकाबला एकतरफा नहीं हो पाएगा।