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रिहाई मंच के नेता नज़रबंद, भाकपा (माले) ने की निंदा

लखनऊ: भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने मैग्सेसे पुरस्कार विजेता डा. संदीप पांडेय और रिहाई मंच के सदर मो. शोएब समेत नेताओं को कश्मीर के लोगों के समर्थन में शुक्रवार (16 अगस्त) की शाम यहां जीपीओ पार्क में कैंडिल मार्च निकलने की घोषणा पर कार्यक्रम होने से पहले उनके घरों में फिर से नजरबंद कर देने की कड़ी निंदा की है।

भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने एक बयान में कहा कि इन नेताओं को बीते 6 दिनों में दोबारा नजरबंद किया गया है। 11 अगस्त को इसी तरह के कार्यक्रम की घोषणा पर उन्हें पहली बार उनके घरों से निकलने से रोक दिया गया। तब यह कारण बताया गया था कि धारा 144 लागू है और बकरीद, रक्षाबंधन, स्वतंत्रता दिवस जैसे त्योहार हैं, लिहाजा पुलिस सुरक्षा नहीं दे सकती।

अब जबकि ये त्योहार बीत गए हैं और आयोजकों ने धारा 144 अभी तोड़ी भी नहीं, ऐसे में फिर से उन्हें नजरबंद कर देने का एकमात्र कारण यही हो सकता है कि योगी और मोदी की सरकार कश्मीर के हालात पर सच को सामने नहीं आने देना चाहती है। धारा 370 व 35ए समाप्त किये जाने और पूर्ण राज्य से केंद्र शासित प्रदेश में बदलने के बाद कश्मीर में सब ठीकठाक है और वहां की जनता को दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ रहा है – सरकार द्वारा फैलाये गए इस सफेद झूठ के पर्दाफाश होने का खतरा था, तभी उन्हें गिरफ्तार किया गया।

माले नेता ने कहा कि कश्मीर के पांच दिवसीय दौरे से लौटकर प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज, ऐपवा नेता कविता कृष्णनन, एनएपीएम व एडवा नेताओं ने दिल्ली के प्रेस क्लब में दो दिन पहले ही बताया था कि सरकार कश्मीर के हालात के सच को छुपा रही है और वहां कर्फ्यू जैसी स्थिति होने के कारण लोगों को भारी दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है। उक्त टीम ने यह भी बताया था कि सरकार के ताजा फैसले के खिलाफ कश्मीर के लोगों में भारी आक्रोश है और भारतीय मीडिया पर सरकार का काफी दबाव है।

माले राज्य सचिव ने कहा कि यही वो सच है, जिसे दबाने के लिए लखनऊ में प्रदर्शनकारियों को कार्यक्रम होने से पहले ही दोबारा नजरबंद किया गया है। उन्होंने सभी की नजरबंदी से अविलंब बिना शर्त रिहाई की मांग की।

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