नई दिल्ली: पूर्व पीडीपी नेता फारूक अहमद डार ने जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने संबंधी चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि यदि लोगों को इससे लाभ होता है तो इसमें कोई नुकसान नहीं है।

उन्होंने नयी दिल्ली का उदाहरण देकर कहा कि राष्ट्रीय राजधानी के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का केंद्र सरकार से लगातार टकराव होता रहता है। इसके बावजूद दिल्ली में विकास हो रहा है। डार ने कहा, ‘‘यदि लोगों को केंद्रशासित प्रदेश के दर्जे से लाभ हो सकता है, तो इसमें नुकसान क्या है?’’

डार ने से कहा, ‘‘हम 1947 में एक उपभोक्ता राज्य थे और हम 2019 में भी एक उपभोक्ता राज्य है। हम बाह्य आपूर्ति पर निर्भर थे और हम अब भी निर्भर ही हैं।’’ उन्होंने कहा कि शेख अब्दुल्ला के परिदृश्य से जाने के बाद, राज्य सरकारों के अयोग्य नेतृत्व के कारण राज्य आत्मनिर्भर नहीं बन पाया।

डार ने 1948 में जम्मू-कश्मीर के ‘प्रधानमंत्री’ बनने वाले शेख अब्दुल्ला की भूमिका की प्रशंसा करते हुए कहा, ‘‘वह सबसे बड़े नेता थे जिनके नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर ने भारत को स्वीकार किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सभी ने इसे स्वीकार किया।’’ डार ने पीडीपी प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला पर राज्य के लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया और कहा कि इन दोनों नेताओं ने अनुच्छेद 370 को कमजोर करने में मदद की।

उन्होंने कहा कि यदि सभी नेताओं और अलगाववादियों के दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में घर हो सकते हैं, तो शेष देश के लोगों को कश्मीर में जगह क्यों नहीं मिल सकती? उन्होंने अब्दुल्ला और मुफ्ती पर राज्य में आतंकवाद को जीवित रखने का आरोप लगाया।