नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को वर्ष 2019 की बोर्ड परीक्षा आयोजन से 100 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। बोर्ड को घाटे से उबारने और बेहतर तरीके से परीक्षा आयोजन करने के लिए ही बोर्ड ने परीक्षा शुल्क को दोगुना किया है।

सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज ने लोकमत से विशेष बातचीत में कहा कि सीबीएसई पहले जेईई मेन, यूजीसी नेट, नीट, जैसी परीक्षाओं का आयोजन करता था। लेकिन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के गठन के बाद यह सारी परीक्षाएं उसके पास चली गई हैं। इससे बोर्ड को करीब 100 करोड रुपए का घाटा हुआ है। पहले उपरोक्त परीक्षाओं के आयोजन से जो धनराशि बचती थी उसे बोर्ड परीक्षा के आयोजन में खर्च कर लेता था।

उन्होंने कहा कि अभी भी बोर्ड की ओर से जितनी फीस वृद्धि की गई है उसमें नो प्रोफिट नो लॉस में परीक्षाओं का आयोजन किया जाएगा। संयम भारद्वाज ने कहा कि 100 करोड रुपए का घाटा काफी होता है। इसे लेकर फाइनेंस कमेटी और सीबीएसई गवर्निंग बॉडी ने यह फैसला किया की परीक्षा शुल्क में बढोत्तरी की जाए।

उन्होंने कहा कि दिल्ली का अपना कोई बोर्ड नहीं है ऐसे में यहां के सरकारी स्कूल सीबीएसई से संबद्ध्-एफिलिएटिड हैं। दिल्ली सरकार से सीबीएसई का यह करार है कि एससी/एसटी छात्रों के परीक्षा शुल्क में केवल 50 रुपए छात्रों से लिए जाएंगे बाकी के 300 रुपए दिल्ली सरकार वहन करेगी। बोर्ड की ओर से फीस वृद्धि पर दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने खुद कहा है कि बढी हुई फीस यानि 1150 रुपए सरकार देगी।

उन्होंने कहा कि मंगलवार को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद बोर्ड ने यह तय किया है कि दिल्ली में एससी/एसटी छात्रों से पहले की तरह 50 रुपए ही फीस ली जाएगी बाकी फीस का भुगतान दिल्ली सरकार करेगी। इसे लेकर दिल्ली सरकार को पत्र भी लिखा गया है।

इससे पहले यह व्यवस्था की गई थी कि 1200 रुपए छात्र जमा कराएंगे और दिल्ली सरकार उनके बैंक खातें में 1150 रुपए डालेगी। लेकिन अब व्यवस्था पहले जैसी बनाई गई है। जिससे एससी/एसटी छात्रों को परेशानी न हो और किसी तरह की भ्रांति न फैले।