नई दिल्ली: शहरी और गांव के इलाकों में पतंजलि आयुर्वेद की बिक्री में गिरावट के बाद अब कंपनी के प्रचार में भी कटौती नजर आ रही है। रामदेव की कंपनी की बाजार में पकड़ कमजोर हो रही है। टीवी और अखबरों के ऐड से भी कंपनी गायब हो रही है। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक टीवी और अखबरों के ऐड से भी कंपनी के ऐड दिखने कम हो रहे हैं। ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) के आंकड़ों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी अब शीर्ष 10 विज्ञापनदाताओं में भी शामिल नहीं है।

साल 2016 और 2017 में पतंजलि सबसे बड़े विज्ञापनदातों की सूची में क्रमश: तीसरे और छठे नंबर पर थी। पतंजलि को साल 2012 और 2017 के दौरान जबरदस्त मुनाफा हुआ था। कंपनी की सेल 500 करोड़ से बढ़कर 10 हजार करोड़ हो गई थी। योग गुरु के तौर प्रख्यात स्वामी रामदेव की लोकप्रियता भी कंपनी की सेल बढ़ने के अहम कारणों में से एक रही।

इस दौरान कंपनी ने स्वदेशी थीम के आधार पर कई उत्पाद लॉन्च किए थे और कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों की तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी से की थी। इस दौरान पतंजलि ने कई कंपनियों को कड़ी टक्कर देते हुए बाजार में अपना नाम स्थापित किया था। इसके बाद से कंपनी ने कुछ दिन ग्रोथ हासिल की लेकिन अब कंपनी की सेल में गिरावट नजर आ रही है।

वित्तिय वर्ष 2018 में कंपनी की सेल 8100 करोड़ पर आ गई और 2019 वित्तिय वर्ष के पहले नौ महीने में सेल 4800 करोड़ रही। कंपनी के प्रचार में विशिष्ट कटौती दिखी है। पिछले वर्ष कंपनी ने किम्बो ऐप लॉन्च किया था। इसके अलावा कंपनी ने पतंजलि परिधान के साथ कपड़ों के बाजार में भी पादार्पण किया था।

इन उत्पादों के लॉन्च के दौरान की कंपनी का टीवी पर ऐड मुश्किल से ही दिखाई दिया। दिलचस्प यह है कि इस दौरान पतंजलि की प्रतिद्वंद्वी कंपनियां जैसे हिंदुस्तान युनिलिवर और पी एंड जी के प्राकृतिक उत्पादों की बिक्री में बढ़ोत्तरी देखने को मिली। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक यह कंपनियां पिछले साल सबसे अधिक विज्ञापनदाताओं की लिस्ट में भी शामिल रही हैं।