लखनऊ: सूबे के मुख्य सचिव पद से वीआरएस लेकर यूपी के मुख्य सूचना आयुक्त बने जावेद उस्मानी पर आरटीआई मामलों की सुनवाइयों में लापरवाह रवैया अख्तियार करने का गंभीर आरोप लगा है l यूपी की राजधानी लखनऊ के आरटीआई एक्टिविस्ट और सूचना का अधिकार बचाओ अभियान (सीपीआरआई) नाम के सामाजिक संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष तनवीर अहमद सिद्दीकी ने सीआईसी जावेद उस्मानी पर सुनवाइयों में सरकारी पक्ष को लाभ पंहुचाने के लिए पत्रावलियों के रिकॉर्ड की अनदेखी करके मनमाने आदेश जारी करके बिना सूचना दिलाये मामलों को ख़त्म करने का गंभीर आरोप लगाया है l

तनवीर के अनुसार उन्होंने यूपी के डीजीपी कार्यालय से सूचना माँगी थी lमामला पूर्व सूचना आयुक्त और मुलायम समधी अरविन्द सिंह बिष्ट द्वारा तनवीर के साथ की गई मारपीट से जुड़ा था इसीलिये उनको समय पर नहीं दी गई और मामला सूचना आयोग आ गया और शिकायत संख्या एस-1/102/सी/2018, एस-1/103/सी/2018 व एस-1/104/सी/2018 पर दर्ज हो गया l बीते मार्च महीने की 26 तारीख को हुई सुनवाई में जावेद उस्मानी ने खुद नोट किया था कि 25 जनवरी 18 को तनवीर द्वारा माँगी गई सूचना लखनऊ के एस.एस.पी. ने 28 नवम्बर 18 को तनवीर को भेजी थी l इस सुनवाई में उस्मानी ने तनवीर द्वारा 27 फरवरी 2019 को दिया गया आपत्ति पत्र एस.एस.पी. लखनऊ कार्यालय के उपनिरीक्षक शमशाद खां को देकर संशोधित सूचना देकर आयोग को बताने का आदेश किया था l

मामले की अगली सुनवाई 27 जून 2019 को हुई जिसमें उस्मानी ने तनवीर के बैक डेट 23 नवम्बर 2018 के किसी पत्र की बात कहते हुए तनवीर द्वारा 27 फरवरी 2019 को दिए गए आपत्ति पत्र पर संशोधित सूचना दिलाये बिना ही शिकायत को निस्तारित कर दिया और मामले को निक्षेपित कर दिया l

बकौल तनवीर 28 नवम्बर 2018 को दी गई सूचना पर उन्होंने 27 फरवरी 2019 और 14 जून 2019 को 2 आपत्तियां आयोग में जमा करा दी थीं तो वे एस.एस.पी कार्यालय द्वारा सूचना देने की डेट से पहले की डेट 23 नवम्बर 2018 की कोई चिट्ठी लिखकर यह कैसे कह सकते हैं कि वे प्राप्त सूचना से संतुष्ट हैं और कैसे आयोग ऐसी किसी फर्जी चिट्ठी के आधार पर मामला बिना सूचना दिलाये ही ख़त्म कर सकता है l

तनवीर अहमद सिद्दीकी ने सीआईसी जावेद उस्मानी पर सुनवाइयों में सरकारी पक्ष को लाभ पंहुचाने के लिए पत्रावलियों के रिकॉर्ड की अनदेखी करके मनमाने आदेश जारी करके बिना सूचना दिलाये व सूचना देने में 30 दिन से अधिक की देरी के लिए अधिनियम की धारा 20 (1) एवं धारा 20 (2) के तहत बिना अर्थदंड मामलों को ख़त्म करने का गंभीर आरोप लगाया है और इस मामले में राज्यपाल आनंदीबेन से मिलकर शिकायत करने की बात कही है और हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट व भारत के माननीय प्रधनमंत्री एवं माननीय राष्ट्रपति को भी लिखित शिकायत भेज कर दर्ज करंगे l