नई दिल्ली: उन्नाव बलात्कार कांड के आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के हथियारों का लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई अंतत: 15 माह बाद पूरी हो गई। जिला मजिस्ट्रेट देवेंद्र कुमार पाण्डेय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद तीनों हथियार लाइसेंस निरस्त करने का आदेश जारी कर दिया है। विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के नाम पर एक सिंगल बैरल बंदूक, एक राइफल और एक रिवॉल्वर का लाइसेंस था।
इन हथियारों के लाइसेंस को रद्द किए जाने की कार्रवाई पिछले 15 माह से जिला मजिस्ट्रेट के न्यायालय में चल रही थी। जिलाधिकारी ने लाइसेंस निरस्तीकरण की सुनवाई से पहले मीडिया को बताया था कि न्यायिक प्रक्रिया के तहत ही निरस्तीकरण की कार्रवाई की जाती है जिसमें दोनों पक्षों को सुनना होता है।
मामले में सीबीआई जांच शुरू होने के बाद विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की गिरफ्तारी के बाद ही उनके सभी हथियार लाइसेंसों को निरस्त करने की कार्रवाई शुरू की गई थी जो लम्बित थी। बीते रविवार पीड़िता के रायबरेली की जेल में बंद अपने चाचा से मिलने जाने के दौरान हुए सड़क हादसे के बाद यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया और तब से विधायक के हथियार लाइसेंस निरस्त न होने के मामले पर सवाल उठने लगे। इसके बाद जिला मजिस्ट्रेट की अदालत ने पूर्व निर्धारित तारीख पर शुक्रवार को अंतिम सुनवाई कर हथियार लाइसेंस निरस्त करने का आदेश जारी किया।
गौरतलब है कि पीड़ित पक्ष ने विधायक के हथियाप लाइसेंस रद्द किए जाने की मांग पूर्व में जिला प्रशासन से की थी। सीबीआई ने 13 अप्रैल, 2018 को विधायक को गिरफ्तार किया था जिसके बाद हथियार लाइसेंस निरस्त करने की कवायद शुरु हुई थी ।
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