नई दिल्ली: अमरनाथ यात्रा को रोककर तीर्थयात्रियों को वापस भेजने के अभूतपूर्व फैसले के बीच सरकार के कई कदमों की वजह से कश्मीर घाटी में अनिश्चितता और डर का माहौल है। पेट्रोल पंपों, किरानों की दुकानों और एटीएम पर लोगों की लंबी लाइनें नजर आ रही हैं। किसी आशंका के मद्देनजर ये लोग पहले से राशन-पानी जुटाने में लगे हुए हैं।

उधर, एयरलाइंस कंपनियों ने कैंसिलेशन चार्ज खत्म कर दिए हैं। टूरिस्ट वापस जा रहे हैं और श्रीनगर स्थित नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी ने नोटिस जारी कर सभी कोर्सेज के लिए क्लासेज अगले आदेश तक निलंबित कर दिए हैं। संस्थान ने इस फैसले की वजह प्रशासनिक कारण बताए हैं।

उधर, अडिशनल डीजीपी (लॉ ऐंड ऑर्डर) मुनीर खान ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ‘हमें यात्रा और पर्यटकों पर आतंकी हमले के इनपुट मिले। कुछ बरामदगी भी हुई है, जैसा कि डीजीपी और कॉर्प्स कमांडर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी है। इसी वजह यह फैसला लिया गया है।’

बता दें कि पर्यटकों और यात्रियों को जारी किया गया आदेश अभूतपूर्व माना जा रहा है। यहां तक कि जब घाटी में आतंकवाद अपने चरम पर था, उस वक्त भी यात्रा अपनी तारीख पर हुई। इसकी वजह से ही घाटी में अनिश्चितता का माहौल बन गया है। वहीं, पाकिस्तान में बने हथियारों की बरामदगी से केंद्र सरकार की यह बात फिर से साबित हुई है कि सीमा पार आतंकवादियों के कैंप अभी भी सक्रिय हैं।

बता दें कि हफ्ते भर पहले ही अफसर बता रहे थे कि घाटी में ग्राम पंचायत और सशक्त हुए हैं और ‘जमीनी स्तर पर लोकतंत्र’ मजबूत हुआ है। वह यह बताना भी नहीं भूल रहे थे कि तीर्थयात्रियों की तादाद के मामले में पिछले साल का रिकॉर्ड टूट गया है।

हालांकि, दो दिन पहले राज्य सरकार ने अचानक से अडवाइजरी जारी कर यात्रा को चार दिन के लिए टाल दिया। इसके लिए खराब मौसम को कारण बताया गया। बाद में जम्मू-कश्मीर पुलिस को यात्रा ड्यूटी से भी हटा लिया गया।

होम सेक्रेटरी शालीन काबरा ने कहा है कि सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों को स्थानीय निवासियों के लिए खतरे के तौर पर न देखा जाए। उनके मुताबिक, यह यात्रियों और पर्यटकों के लिए हैं, जो आसानी से आतंकियों के निशाने पर हैं।

बता दें कि 25 जुलाई को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सेंट्रल आर्म्ड पैरामिलिट्री फोर्सेज की 100 कंपनियां कश्मीर में तैनात करने का आदेश दिया था, जिसके बाद से ही कई तरह की अटकलें तेज हो गईं।