नई दिल्ली: राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही यह विधेयक अब कानून बन गया है। राष्ट्रपति ने बुधवार देर रात इस विधेयक को अपनी मंजूरी दी। इस कानून को 19 सितंबर 2018 से लागू माना जाएगा। तीन तलाक बिल को 25 जुलाई को लोकसभा में और 30 जुलाई को राज्यसभा में पारित किया गया था। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने लगातार तीन बार तलाक बोलकर वैवाहिक संबंध खत्म किये जाने की तलाक-ए-बिद्दत प्रथा को 22 अगस्त 2017 को असंवैधानिक घोषित कर दिया था।

राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद अब इस कानून ने 21 फरवरी को तीन तलाक को लेकरजारी किए गए मौजूदा अध्यादेश की जगह ले ली है। इससे पहले 30 जुलाई को जब यह बिल राज्य सभा में पारित हुआ था राष्ट्रपति ने ट्वीट कर कहा था, 'राज्य सभा में मुस्लिम विमेन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरेज) बिल के पारित होने से ‘तीन तलाक’ की अन्यायपूर्ण परंपरा के प्रतिबंध पर संसदीय अनुमोदन की प्रक्रिया पूरी हो गयी है। यह महिला-पुरुष समानता के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है; पूरे देश के लिए संतोष का क्षण है।'

मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019’ को राज्यसभा में 84 के मुकाबले 99 मतों से पारित करा लिया। गौर करने वाली बात यह रही कि तीन तलाक विधेयक पर राज्यसभा में वोटिंग के दौरान कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के पांच-पांच सांसदों सहित विपक्ष के करीब 20 सांसद अनुपस्थित रहे जिससे सरकार के लिए बिल को पास कराना और आसान हो गया। राज्यसभा में विधेयक पारित होेने के बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया था।

राज्यसभा में पारित होने के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट कर इसे एक ऐतिहासिक कदम करार दिया था। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा था, 'पूरे देश के लिए आज एक ऐतिहासिक दिन है। आज करोड़ों मुस्लिम माताओं-बहनों की जीत हुई है और उन्हें सम्मान से जीने का हक मिला है। सदियों से तीन तलाक की कुप्रथा से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को आज न्याय मिला है। तुष्टीकरण के नाम पर देश की करोड़ों माताओं-बहनों को उनके अधिकार से वंचित रखने का पाप किया गया। मुझे इस बात का गर्व है कि मुस्लिम महिलाओं को उनका हक देने का गौरव हमारी सरकार को प्राप्त हुआ है।'

मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक में यह भी प्रावधान है कि यदि कोई मुस्लिम पति अपनी पत्नी को मौखिक, लिखित या इलेक्ट्रानिक रूप से या किसी भी अन्य प्रकार से तीन तलाक देता है तो यह अवैध और गैर कानूनी होगा। इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि तीन तलाक से पीड़ित महिला अपने पति से स्वयं और अपनी आश्रित संतानों के लिए निर्वाह भत्ता प्राप्त पाने की हकदार होगी। इस रकम का निर्धारण मजिस्ट्रेट द्वारा किया जाएगा।