RPF अधिकारी ने चार महीने का राशन जमा करने को कहा

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के बडगाम में रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के एक अधिकारी की कर्मचारियों को लिखी चिट्ठी से विवाद खड़ा हो गया है. दरअसल, अधिकारी ने इस चिट्ठी में आने वाले दिनों में कश्मीर में तनाव और हिंसा की आशंका जाहिर करते हुए कर्मचारियों को आगाह किया है. आरपीएफ बडगाम के सहायक सुरक्षा आयुक्त सुदेश नुग्याल ने चिट्ठी लिखकर कर्मचारियों से ‘लंबे समय तक’ कश्मीर घाटी में ‘कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका’ के कारण राशन जमा करने को कहा. इस चिट्ठी के बाद विभाग में खलबली मच गई. जिसके बाद रेलवे को सफाई देना पड़ा. रेलवे ने शनिवार को स्पष्ट किया कि इस चिट्ठी का कोई आधार नहीं. साथ ही इसे जारी करने का संबंधित अधिकारी के पास कोई अधिकार नहीं है.

आरपीएफ अधिकारी सुदेश नुग्याल ने शनिवार को ये चिट्ठी सोशल मीडिया पर शेयर की है. इसमें लिखा है, 'कश्मीर घाटी में लंबे समय तक स्थिति के बिगड़ने की आशंका और कानून व्यवस्था के संबंध में विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों और एसएसपी/जीआरपी/ एसआईएनए (श्रीनगर के सरकारी रेलवे पुलिस के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक) से मिली जानकारी के अनुरूप 27 जुलाई को एहतियात सुरक्षा बैठक हुई.'

आरपीएफ बडगाम के सहायक सुरक्षा आयुक्त सुदेश नुग्याल ने लिखा, 'कश्मीर में हालात बिगड़ने वाले हैं. ऐसे में कर्मचारी कम से कम चार महीने के लिए राशन इकट्ठा कर लें. अपने परिवार को घाटी के बाहर भेज दें.'

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने कहा कि घाटी के लोगों पर यह तोहमत लगाना आसान है कि वह डर फैला रहे हैं लेकिन ऐसे आधिकारिक आदेश का क्या करें जिसमें कश्मीर घाटी में कानून व्यवस्था बिगड़ने की बिना पर तैयारियों की बात की जा रही है और इस तरीके की भविष्यवाणी की जा रही है.

इस चिट्ठी के वायरल होने के बाद रेलवे बोर्ड के प्रवक्ता ने स्पष्टीकरण जारी कर कहा कि ये चिट्ठी वरिष्ठ संभागीय सुरक्षा आयुक्त से बस एक पद नीचे के अधिकारी द्वारा बिना किसी अधिकार के लिखा गया. जबकि, वह 26 जुलाई से एक साल के स्टडी लीव पर गए हैं.

प्रवक्ता ने कहा कि इस अधिकारी ने अपनी धारणा के आधार पर यह चिट्ठी लिखी और उसे जारी किया. इसका कोई आधार नहीं है और वह ऐसी चिट्ठी जारी करने के लिए अधिकृत भी नहीं है. रेलवे प्रवक्ता ने कहा, ‘यह भी स्पष्ट किया जाता है कि इस चिट्ठी को अधिकृत करने वाले प्राधिकार से कोई मंजूरी नहीं मिली थी. आरपीएफ के महानिरीक्षक (एनआर) को स्थिति के आकलन और सुधार के कदम उठाने के लिए भेजा जा रहा है.'

बता दें कि यह विवाद ऐसे समय में खड़ा हुआ है, जब राज्य में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की 100 और कंपनियां राज्य में भेजे जाने को लेकर कश्मीरी नेताओं का एक वर्ग केंद्र की आलोचना कर रहा है.