लखनऊ: “भूमि आयोग के गठन तथा भूमि आवंटन की मांग हेतु चलेगा अभियान”- यह बात आज एस आर दारापुरी पूर्व आई जीने प्रेस को जरी ब्यान में कही है. उन्होंने आगे कहा है कि मजदूर किसान मंच काफी लम्बे समय से उत्तर प्रदेश में मजदूरों और किसानों के मुद्दे चाहे वह भूमि के अधिग्रहण या गेहूं और धान की सरकारी दर पर क्रय का सवाल हो, उठाता रहा है. हाल में सोनभद्र के आदिवासियों के नरसंहार ने भूमि के प्रश्न को फिर आगे ला दिया है. यह भी सर्वविदित है कि उत्तर प्रदेश में भूमिसुधार सही ढंग से लागू नहीं किये गए थे जिस कारण न तो सीलिंग की भूमि सही ढंग से चिन्हित हो सकी और न ही भूमिहीनों को भूमि का वितरण ही हो सका जिसके फलस्वरूप उत्तर प्रदेश में भूमिहीनों की संख्या काफी बड़ी है. जहाँ कहीं ज़मीन निकली भी उसे नेताओं, अधिकारियों तथा दबंग लोगों ने तिकड़म करके हथिया लिया है. सोनभद्र की उभ्भा गाँव की ज़मीन इसका सबसे बड़ा उदहारण है. इतना ही नहीं वनाधिकार कानून के अंतर्गत आदिवासियों/वनवासियों को अधिकार के तौर पर मिलने वाली ज़मीन सम्बन्धी कानून को भी विफल कर दिया गया. इसके लिए मायावती, अखिलेश तथा योगी सरकार पूरी तरह से ज़िम्मेदार है. नतीजा यह है कि अब 70, 000 आदिवासी/ वनवासी बेदखली की कगार पर हैं. ज़मीन के सम्बन्ध में भूमि सुधार एवं वनाधिकार कानून को ईमानदारी से लागू करने में सभी पार्टियों की सरकारों का एक जैसा ही नजरिया एवं व्यवहार रहा है.

श्री दारापुरी ने आगे खा है कि सोनभद्र की घटना ने भूमि के सवाल को पुनर्जीवित कर दिया है. अतः मजदूर किसान मंच इस पर नई पहल करने जा रहा है. यह मंच उत्तर प्रदेश में एक भूमि आयोग का गठन जोकि वर्तमान में प्रदेश में ग्राम समाज, सीलिंग, बंजर, भूदान तथा जंगल की ज़मीन पर अवैध कब्जों को चिन्हित कर मुक्त कराए तथा तथा उसके भूमिहीनों को आवंटन की संस्तुति करे, की मांग को उठाने जा रहा है. यह इस लिए भी ज़रूरी है कि मांग को कोई भी राजनितिक पार्टी नहीं उठा रही है. यदि आवश्यक हुआ तो इस हेतु व्यापक जनांदोलन भी नियोजित किया जाएगा. अतः जो भी साथी और संगठन हमारे इस अभियान में शामिल होने तथा सहयोग देने के इच्छुक हैं वे कृपया अपना तथा संगठन का नाम एवं मोबाइल नंबर सूचित करें ताकि इस सम्बन्ध में एक बैठक बुला कर कार्यक्रम तथा रणनीति तय की जा सके.