नई दिल्ली: राज्यसभा में गुरुवार को बड़ी संख्या में बच्चों के लापता होने का मुद्दा उठा. मांग की गई कि ऐसे बच्चों का पता लगाने के लिए गृह मंत्रालय को एक विशेष प्रकोष्ठ का गठन करना चाहिए. संसद के शून्यकाल में कांग्रेस नेता डॉ. टी सुब्बीरामी रेड्डी ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा, ‘बीते दस साल में सात लाख से अधिक बच्चे लापता हुए हैं. दिल्ली तथा अन्य प्रदेशों में बच्चों के लापता होने का सिलसिला जारी है. इनमें से 60 फीसदी बच्चों का पता नहीं चल पाता है.’
रेड्डी ने कहा कि कुछ बच्चों का पता चल जाता है और कुछ का नहीं. जिन बच्चों का पता नहीं चल पाता, वे या तो भिक्षावृत्ति या देह व्यापार के धंधे में धकेल दिए जाते हैं. उन्होंने कहा कि कई बच्चे उन प्रवासियों के होते हैं जो रोजगार की तलाश में एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में जाते हैं.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, हर आठ मिनट में एक बच्चा लापता हो रहा है. उच्चतम न्यायालय ने लापता बच्चों का पता लगाने के लिए ‘सहायता डेस्क’ बनाने को कहा है. सरकार ने ऐसे बच्चों को खोजने के लिए ‘ऑपरेशन स्माइल’ चलाया है. लेकिन बच्चों के लापता होने का सिलसिला जारी है. रेड्डी ने कहा कि ऐसे बच्चों का पता लगाने के लिए गृह मंत्रालय को एक विशेष प्रकोष्ठ का गठन करना चाहिए. विभिन्न दलों के सदस्यों ने उनके इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया.
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