बोले–जिस को जहां जाना हो जाये हम किसी को रोकने वाले नही

लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी

राज्य मुख्यालय लखनऊ।बदले-बदले मेरी सरकार नज़र आते है घर की बर्बादी के आसार नज़र आते है सपा कंपनी में आजकल सबकुछ ठीक नही चल रहा है।समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के बदले व्यवहार से पार्टी के बड़े नेता सकते में है।सपा के कुछ राज्यसभा सांसदों के मोदी की भाजपा में जाने की अटकलों के बीच अखिलेश यादव ने कहा है कि जिसको जहां जाना हो,चले जायें हम किसी को रोक नही रहे हैं।अखिलेश यादव के इस बयान से पार्टी की चिंता करने वाले नेता सकते में हैं।सब अपने-अपने हिसाब से अखिलेश के इस बयान का मतलब ढूंढ रहे हैं , राज्यसभा सांसद नीरज शेखर सपा कंपनी छोड़कर मोदी की भाजपा में जा चुके हैं से वही नीरज है जिनके पिता अपने अंतिम साँस तक साम्प्रदायिकता का विरोध करते रहे ख़ैर ये तो कोई ख़ास बात नही है आजकल की सियासत में इसके कोई मायने नही है।राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की ख़बरें चल रही हैं,कहीं ये दावा किया जा रहा था कि सपा कंपनी के चार सांसद मोदी की भाजपा में जा सकते हैं, तो कोई कह रहा था कि तीन सांसद समाजवादी कंपनी छोड़ सकते हैं , इसके साथ ही कुछ नाम भी चर्चा में थे, अखिलेश यादव इसी बात पर भड़के हुए हैं।लगातार मिल रहे राजनीतिक झटकों से अखिलेश यादव परेशान हैं,जब से उन्होंने कंपनी का नेतृत्व सम्भाला है तब से कंपनी दिन ब दिन नुकसान में जा रही है।2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़े और 2019 में अपने कट्टर विरोधी मायावती से मिलकर लोकसभा चुनाव लड़े , लेकिन समाजवादी कंपनी को कोई फ़ायदा नहीं हुआ,इसकी वजह सपा कंपनी का वोटबैंक यादव सपा कंपनी का साथ छोड मोदी की भाजपा में चला गया था अगर मुसलमान और दलित साथ न रहता तो मुलायम सिंह यादव और अखिलेश भी चुनाव हार जाते इससे इंकार नही किया जा सकता है 2017 के विधानसभा के चुनाव में भी यादवों का वोट बडी तादाद में मोदी की भाजपा के साथ चला गया था जब भी उसके बँधवा मज़दूर समझे जाने वाले और हैं भी मुसलमान ही मज़बूती के साथ सपा कंपनी के साथ खड़ा रहा था बसपा ने चुनाव बाद ही अखिलेश पर तमाम आरोप लगाते हुए गठबंधन तोड़ लिया था।असल में बसपा ने सपा के साथ गठबंधन मुसलमानों के वोटबैंक की वजह से किया था क्योंकि मुसलमान पिछले काफ़ी दिनों से सपा कंपनी के साथ जुड़ा चला आ रहा है नही तो यादव वोटबैंक पर तो बसपा सपा से गठबंधन करने वाली नही थी।सपा परिवार में मचे घमासान से भी सपा कंपनी को कम नुक़सान नहीं हुआ अखिलेश की ज़िद ने सपा कंपनी को कहाँ से कहाँ लाकर खड़ा कर दिया ये भी सभी जानते है जो नेता अपना बूथ नही जीता पाए वही नेता विधान परिषद में सपा कंपनी का नेतृत्व कर रहे है अखिलेश उनके कहे पर ही सपा कंपनी को शीर्ष पर ले जाने की सोच रहे है एक चौकड़ी है जो सपा को बर्बादी की और ले जा रही है और अखिलेश है कि समझने को तैयार नही है।अखिलेश सारे प्रयोग कर के अब थक चुके हैं , अब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती मोदी की भाजपा से अपना घर बचाने की है , सपा कंपनी के नेताओं को ये बात भी समझ में नही आ रही है कि संसद का सत्र चलने के बावजूद अखिलेश दिल्ली के बजाय लखनऊ में क्यों जमे हुए हैं।22 जुलाई को समाजवादी कंपनी के सभी सांसदों को सवेरे दस बजे संसद पहुंचने के लिए कहा गया , ये भी बताया गया कि सब सांसद गांधी जी की मूर्ति के पास इकट्ठा होंगे , सांसदों से कहा गया था कि अखिलेश यादव भी मौजूद रहेंगे , उनकी अगुवाई में सोमवार 22 जुलाई को सोनभद्र की घटना को लेकर विरोध प्रदर्शन होगा।यूपी के सोनभद्र में 10 लोगों की मौत पर योगी सरकार को घेरा जाएगा , समाजवादी कंपनी के सांसद जब गांधी जी की मूर्ति पर पहुंचे तो देखा वहां तो कांग्रेस के नेता पहुंचे हुए हैं , सपा सांसद अखिलेश का इंतज़ार करते रहे लेकिन अखिलेश यादव नहीं आए , क्योंकि वे तो लखनऊ में थे , किसी को कुछ पता नहीं , आख़िर ऐसा क्यों हुआ ? लोकसभा में समाजवादी कंपनी के 5 सांसद हैं , मुलायम सिंह यादव की तबियत ख़राब रहती है , इस बार अखिलेश यादव भी आज़मगढ़ से चुनाव जीत कर आए हैं , लेकिन अब तक संसद में वे मौन रहे हैं , एक भी सवाल नहीं उठाया है , अखिलेश एक दो बार संसद आए भी , तो कुछ नेताओं से मिल कर सदन में कम सेंट्रल हाल में ज़्यादा समय बिता कर लौट गए , रामपुर के सांसद आज़म खान ही चर्चा में बने रहे।राज्यसभा में पार्टी के 12 सांसद हैं , रामगोपाल यादव भी इस बार कंपनी सांसदों के साथ सक्रिय नही हैं सपा कंपनी को खतम करने या कराने में रामगोपाल यादव को भी ज़िम्मेदार माना जाता है उनकी मोदी की भाजपा से काफ़ी नज़दीकियाँ है जो समय-समय पर सामने आती रहती है सपा कंपनी के राज्यसभा के सांसदों की मोदी की भाजपा में जाने की चर्चाओं में उनके हाथ होने से इंकार नही किया जा सकता है।संसद में एक तरह से सपा कंपनी नेतृत्व विहीन हो गई है।