नई दिल्ली: देश भर की यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में पढ़ने वाले 3 करोड़ स्टूडेंट्स के सोशल मीडिया अकाउंट पर केंद्र सरकार की नजर है। एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार इन छात्रों से सोशल मीडिया पर जुड़कर उनके और संस्थान के ‘अच्छे कामों’ की जानकारी प्रसारित करना चाहती है।

अंग्रेजी अखबार टेलिग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार की इस कवायद को लेकर कुछ शिक्षाविदों ने चिंता जताई है। इन एक्सपर्ट्स को सरकार की इस पहल में ‘खतरनाक’ डिजाइन नजर आता है। उन्हें डर है कि कहीं छात्र-छात्राओं के सोशल मीडिया अकाउंट्स से ली गई जानकारी का गलत इस्तेमाल करके उनकी विचारधारा जान ली जाए और फैकल्टी इंटरव्यू के दौरान उनकी छंटनी की जाए। यूनिवर्सिटी के एक टीचर ने कहा कि उनके एक स्टूडेंट को फैकल्टी के एक पद के लिए हुए इंटरव्यू के बाद रिजेक्ट कर दिया गया। टीचर के मुताबिक, ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि छात्र के सोशल मीडिया पोस्ट सरकार विरोधी थे।

रिपोर्ट के मुताबिक, सभी उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों को यह सुनिश्चित कराने का आदेश दिया गया है कि सभी स्टूडेंट्स के फेसबुक, टि्वटर और इंस्टाग्राम के अकाउंट संस्थान और मानव संसाधन विकास मंत्रालय जैसे सरकारी संगठनों के सोशल मीडिया अकाउंट्स से कनेक्ट हों। इस संदर्भ में डिपार्टमेंट ऑफ हायर एजुकेशन के सेक्रेटरी आर सुब्रमण्यम की ओर से बुधवार को एक लेटर भेजा गया है। उम्मीद की जा रही है कि इस कवायद से देश की 900 यूनिवर्सिटीज और 40 हजार कॉलेजों को कवर किया जा सकेगा।

लेटर के मुताबिक, सोशल मीडिया पर जुड़ने की इस कवायद का मकसद छात्रों और संस्थाओं की उपलब्धियों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना है। वहीं, इसके तहत हर संस्थान एक टीचर या नॉन टीचिंग स्टाफ को सोशल मीडिया चैंपियन या एसएमसी का दर्जा दे सकता है। लेटर के मुताबिक, यह एसएमसी बाकी सभी संस्थानों और मानव संसाधन मंत्रालय के संपर्क में रहेगा और वक्त-वक्त पर अपने छात्रों और संस्थान के अच्छे कार्यों को शेयर करेगा। लेटर में इस सोशल मीडिया चैंपियन का टु डु लिस्ट भी बताया गया है।