मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय ने विश्वविद्यालय प्रांगण में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को पुरे जोश और उत्साह के साथ मनाया। इस अवसर पर संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल और संस्कृति यूनानी मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के प्राध्यापकों एवं प्रिंसिपल ने काफी उत्साह पूर्वक पुरे कार्यक्रम का सफल आयोजन किया। इस अवसर पर सभी विभागों के संकाय सदस्य, कर्मचारी, छात्र एवं अन्य सभी सदस्य प्रातः ६ बजे ही विश्वविद्यालय प्रांगण में निर्धारित स्थान पर एकत्र हो चुके थे। प्रशानिक विभाग ने पुरे कार्यक्रम स्थल को शानदार तरीके से तैयार कर एवं सजा कर कार्यक्रम के लिए उपलब्ध करा दिया था ताकि सभी सदस्य आसानी से योगाभ्यास कर सकें।

इस कार्यक्रम में योग विशेषज्ञ डॉ. अश्विनी सिंह ने सभी सदस्यों को विस्तृत तरीके से योगाभ्यास करने के गुर बताये और योगाभ्यास भी कराया।
उन्होंने सभी सदस्यों को विभिन्न प्रकार के योग आसन को आसान तरीके से अभ्यास कराया। आयुष मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा बताये गए कॉमन योग प्रोटोकॉल को अच्छे से समझाया। डॉ अश्विनी ने सभी सदस्यों को गायत्री मंत्र, योग मंत्राचार एवं योग प्रार्थना कराकर योगाभ्यास की शरुआत की। इसके बाद उन्होंने कटी चक्रासन, ताड़ासन, वृक्षासन, पाद हस्तासन, अर्धचक्रासन, त्रिकोणासन, दण्डासन, भद्रासन, वज्रासन, अर्धउष्ट्रासन, शशांकासन, वक्रासन, मकरासन, भुजंगासन, शलभासन, सेतुबंधासन, उत्तानपादासन, अर्धहलासन, पवनमुक्तासन, शवासन, इत्यादि आसन सभी लोगों को सिखाया तथा अभ्यास कराया। योगाभ्यास के बाद उन्होंने सभी सदस्यों को प्राणायाम के महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की तथा तथा सभी लोगों को प्राणायाम करने का अभ्यास कराया। अंत में उन्होंने विश्व शांति के लिए सभी को शपथ एवं संकल्प दिलाया कि विश्वविद्यालय के सभी सदस्य आने वाले समय में नियमित रूप से योगाभ्यास करते रहेंगे।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर अपने सन्देश में कुलाधिपति श्री सचिन गुप्ता ने कहा कि योग मानव जीवन में एक वरदान है जिसे अगर हम सब नियमित रूप से अभ्यास करें तो यह हमें दीर्घायु तथा शतायु बना सकता है। उन्होंने छात्रों को यह सन्देश दिया कि नियमित रूप से योगाभ्यास करने से यादाश्त बेहतर होता है और शरीर स्वस्थ रहता है।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर अपने सन्देश में उप कुलाधिपति श्री राजेश गुप्ता ने कहा की योग का नियमित अभ्यास करने से मन एकाग्रचित्त रहता है तथा मानव् शरीर से सभी प्रकार के विषैलै तत्त्वों का त्याग हो जाता है। अपने सन्देश में यह भी कहा की योगाभ्यास करने का सबसे सही समय सूर्योदय से पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में है। इस समय पर योगाभ्यास करने से इंसान ताउम्र निरोग एवं हृष्ट पुष्ट रहता है।