गुजरात राज्यसभा चुनाव: कांग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की याचिका पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। गुजरात में राज्यसभा की दो सीटों के लिए अलग-अलग उपचुनाव कराने के निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली राज्य कांग्रेस की अपील पर शीर्ष कोर्ट ने 24 जून तक आयोग से जवाब देने को कहा। इस मामले की अगली सुनवाई 25 जून को होगी।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और पार्टी की वरिष्ठ नेता स्मृति ईरानी के क्रमश: गांधीनगर और अमेठी से लोकसभा पहुंचने के बाद गुजरात से राज्यसभा की दो सीटें खाली हो गई हैं। लोकसभा चुनाव के बाद नयी सरकार में अमित शाह गृह मंत्रालय और स्मृति ईरानी को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का प्रभारी बनाया गया है।
चुनाव आयोग की ओर से 15 जून को जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार दोनों सीटों के लिए चुनाव पांच जुलाई को ही होने हैं। हालांकि चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि राज्यसभा सहित दोनों सदनों की सभी रिक्तियों पर उपचुनाव के लिए उन्हें ‘अलग-अलग रिक्तियां’ माना जाएगा और अलग-अलग अधिसूचना जारी की जाएगी तथा चुनाव भी अलग-अलग होंगे। हालांकि इनका कार्यक्रम समान हो सकता है।
कांग्रेस विधायक परेश धनानी ने अपनी याचिका में निर्वाचन आयोग के आदेश को असंवैधानिक, मनमाना और गैरकानूनी घोषित करते हुये इसे रद्द करने का अनुरोध किया है। याचिका में कहा गया है कि आयोग के इस आदेश से संविधान के अनुच्छेद 14 का हनन होता है। उन्होंने निर्वाचन आयोग को उपचुनाव एकसाथ कराने और गुजरात सहित सभी राज्यों में सारी रिक्त सीटों के लिये साथ में चुनाव कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।
इस विधायक ने अपनी याचिका में कहा है कि गुजरात में राज्य सभा की दो सीटों के लिये अलग अलग चुनाव जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत प्रदत्त आनुपातिक प्रतिनिधित्व की योजना का संतुलन बिगाड़ेगा। याचिका में कहा गया है कि संविधान और जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत यह बुनियादी सिद्धांत है कि यदि चुनाव के समय नियमित रिक्तियां हैं तो इसे एकसाथ कराया जाना चाहिए ताकि इन चुनावों में एकल हस्तांतरित मत के माध्यम से आनुपातिक प्रतिनिधित्व व्यवस्था लागू की जा सके।
गुजरात की 182 सदस्यीय विधान सभा में भाजपा के 100 और कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष के 75 सदस्य हैं जबकि सात स्थान रिक्त हैं। कांग्रेस का आरोप है कि केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा निर्वाचन आयोग कार्यालय का अपने राजनीतिक प्रचार के लिये इस्तेमाल कर रही है। कांग्रेस का आरोप है कि निर्वाचन आयोग की कार्रवाई पूरी तरह से दुराग्रहपूर्ण और मनमानी है।
कांग्रेस ने गुजरात की दोनों रिक्त सीटों के लिये एक साथ चुनाव कराने की मांग की है क्योंकि अलग अलग चुनाव होने पर सत्तारूढ़ दल होने के कारण भाजपा को दोनों स्थानों पर जीत हासिल करने की स्थिति में होगी। निर्वाचन आयोग ने 15 जून को दिल्ली उच्च न्यायालय के 1994 और 2009 के दो फैसलों का हवाला दिया है जिसमें जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों के तहत एक ही राज्य में अलग अलग उपचुनाव कराने की व्यवस्था का समर्थन किया था।