नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में शामिल होने के लिए पाकिस्तान के वायु क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं करेंगे। जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री का विमान ओमान के रास्ते किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक जाएगा। बिश्केक में एससीओ की बैठक 13-14 जून को होनी है और भारत को इस बैठक में हिस्सा लेना है। पाकिस्तान ने पीएम मोदी के विमान के लिए अपने वायु क्षेत्र का इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी लेकिन शीर्ष स्तर पर हुई बैठक के बाद भारत ने उसके वायु क्षेत्र का इस्तेमाल न करने का फैसला किया है। यह पाकिस्तान के लिए एक और झटका है। भारत पहले ही उसकी बातचीत की पेशकश को ठुकरा चुका है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान जब तक आतंकवाद पर पूरी तरह रोक नहीं लगाता तब तक उसके साथ बातचीत नहीं हो सकती।

सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी का विमान ओमान, ईरान और मध्य एशिया के वायु क्षेत्र से होते हुए बिश्केक जाएगा। बता दें कि पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री मोदी के विमान के लिए अपना वायु क्षेत्र खोलने की बात कही है लेकिन शीर्ष स्तर पर हुई बैठक में फैसला हुआ है कि पीएम मोदी का विमान पाकिस्तान के रास्ते बिश्केक नहीं जाएगा। पाकिस्तान के साथ किसी तरह की बातचीत से भारत पहले ही इंकार कर चुका है। अब उसके वायु क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं करने के फैसले से उसे एक और झटका लगा है।

भारत सरकार ने अपने इस फैसले से जाहिर कर दिया है कि वह पाकिस्तान से किसी तरह का एहसान लेने नहीं जा रही है। भारत ने स्पष्ट कहा है कि 'अपना वायु क्षेत्र खोलने के लिए आपका धन्यवाद! लेकिन हम आपके वायु क्षेत्र का इस्तेमाल करने नहीं जा रहे।' जाहिर है कि एससीओ बैठक के दौरान भारत पाकिस्तान को कोई तरजीह देने नहीं जा रहा। इस बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान शामिल होंगे। विदेश मंत्रालय पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि इस सम्मेलन के दौरान दोनों देशों के बीच कोई बैठक प्रस्तावित नहीं है।

इससे पहले भारत ने पीएम मोदी के विमान के लिए अपना वायु क्षेत्र खोलने के लिए पाकिस्तान से अनुरोध किया था। भारत के इस अनुरोध पर पाकिस्तान ने अपना वायु क्षेत्र खोलने की बात कही थी। बता दें कि गत 26 फरवरी को बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण केंद्र पर भारतीय वायु सेना के एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने अपना वायु क्षेत्र पूरी तरह से बंद कर दिया था। बाद में उसने दक्षिणी क्षेत्र के अपने दो वायु मार्गों को खोला।