नई दिल्लीः भारतीय क्रिकेट के 'फाइटर' ने आज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। एक फाइटर जिसने मैदान पर भी हर मैच को जंग की तरह लिया और भारत को दो विश्व कप जिताने में अहम भूमिका निभाई, फिर जब शरीर पर वार हुआ (कैंसर) तब भी लड़कर लौट आया। उसी फाइटर ने आज मीडिया के जरिए देश को संदेश दे दिया कि सालों के प्यार के लिए शुक्रिया और देश की जर्सी में जो कुछ किया उसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।

दिलचस्प बात ये रही कि विश्व कप 2019 में रविवार रात विराट सेना ने ऑस्ट्रेलिया को हराया और एक दिन बाद युवी ने संन्यास ले लिया, जिनके बल्ले से 2011 क्वार्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत निकली थी। युवराज सिंह ने रविवार को ही मीडिया तक संदेश पहुंचा दिया था कि वो सोमवार को हमसे मुखातिब होना चाहते हैं। इशारा साफ था कि कुछ बड़ा ऐलान होने वाला है और मकसद भी जाहिर हो चुका था। युवी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान किया और अब वो कभी भी भारत की तरफ से मैदान पर दहाड़ देते नहीं दिखाई देंगे। एक युग का अंत हुआ।

साल 2000 में युवराज सिंह की पहली झलक तब दिखी जब भारत ने श्रीलंका में आयोजित अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप को पहली बार जीता। मोहम्मद कैफ की अगुवाई वाली उस टीम में एक युवा युवी भी थे। युवराज उस टूर्नामेंट में मैन ऑफ द सीरीज बने और देखते-देखते वो सभी चयनकर्ताओं की नजरों में आ गए। बस अब कुछ साल का इंतजार और था।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में युवराज सिंह की एंट्री साल 2003 में हुई। अक्टूबर 2003 में भारतीय क्रिकेट टीम केन्या में खेलने पहुंची जिसका हिस्सा युवी भी थे। सचिन, द्रविड़, गांगुली और कांबली जैसे खिलाड़ियों से सजी उस टीम में युवराज भी शामिल थे। भारत 8 विकेट से जीता लेकिन युवराज की बल्लेबाजी का नंबर ही नहीं आया। खैर, 7 अक्टूबर को वो दूसरा मैच खेलने उतरे और यहां बल्ला मिलते ही गरज पड़े और अपना पहला अर्धशतक जड़ते हुए 84 रनों की पारी खेल डाली।