नई दिल्ली : केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर विधानसभा में नुमाइंदगी की असमानता दूर करने की तैयारी में है। मिली जानकारी के मुताबिक सरकार इस असमानता को दूर करने के लिए परिसीमन पर लगी रोक को हटाने का फैसला किया है और इस दिशा में वह आगे बढ़ रही है। जम्मू क्षेत्र के लिए परिसीमन आयोग गठित करने के लिए जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक की गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात हुई है। जम्मू क्षेत्र में नए परिसीमन पर जारी बैठकों में गृह सचिव और इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के प्रमुखों को भी शामिल किया गया है।

परिसीमन पर लगी रोक हटने का मतलब है कि जम्मू एवं कश्मीर क्षेत्र की विधानसभा सीटों में बदलाव होगा। जम्मू क्षेत्र की मांग के अनुरूप यदि परिसीमन हुआ तो आने वाले समय में उसके हिस्से में विधानसभा की ज्यादा सीटें आ सकती हैं। ऐसा होने पर आने वाले समय में जम्मू क्षेत्र से कोई हिंदू मुख्यमंत्री बन सकता है। अब तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कश्मीर का दबदबा रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर में परिसीमन पर लगी रोक हटाने का मन बना चुकी है और इस दिशा में वह आगे बढ़ रही है। राज्यपाल सत्यपाल मलिक और गृह मंत्री अमित शाह के बीच बैठक के बाद इस दिशा में आगे बढ़ने और परिसीमन आयोग गठित करने के लिए सरकारी स्तर पर बैठकों का दौर चल रहा है। गृह मंत्रालय एवं राज्यपाल दोनों एक-दूसरे के संपर्क में हैं। गृह सचिव और इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के प्रमुखों को भी बातचीत में शामिल किया गया है।

बताया जा रहा है कि जम्मू कश्मीर विधानसभा में प्रतिनिधित्व की असमानता दूर करने के लिए सरकार ने परिसीमन आयोग गठित करने का फैसला किया है। अभी मौजूदा समय में जम्मू क्षेत्र से ज्यादा विधायक कश्मीर क्षेत्र से चुनकर आते हैं। जम्मू क्षेत्र कश्मीर से बड़ा है और इसे देखते हुए इस क्षेत्र में ज्यादा सीटें होनी चाहिए लेकिन पिछले समय में हुए परिसीमन में यहां की जनसंख्या एवं क्षेत्र को नजरंदाज किया गया। जिसके चलते जम्मू क्षेत्र की न्यायसंगत नुमाइंदगी विधानसभा में नहीं हो पाई। जम्मू क्षेत्र के लोग काफी समय से इस असमानता को दूर करने की मांग करते आए हैं।

जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू है। ऐसे में नए सिरे से परिसीमन के लिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा की अनुमति की जरूरत नहीं होगी। राज्यपाल की अनुशंसा पर राज्य में नए सिरे से परिसीमन का काम शुरू हो सकता है। 2002 में तत्कालीन फारूक अब्दुल्ला सरकार ने राज्य में परिसीमन के काम पर रोक लगा दी थी।