भोपाल: मध्यप्रदेश में कमलनाथ मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर एक फिर चर्चा तेज हो गई है. भाजपा द्वारा अल्पमत की सरकार का मुद्दा बार-बार उठाने को देखते हुए कमलनाथ बजट सत्र से पहले विधायकों को साधने की कवायद करते हुए विस्तार कर सकते हैं. इस विस्तार में छह विधायकों को मंत्री बनाए जाने की चर्चा चल पड़ी है. विस्तार में सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों को शामिल किया जा सकता है.

कमलनाथ सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा अब तेज हो गई है. माना जा रहा है कि जून माह में बजट सत्र के पहले यह विस्तार हो सकता है. मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बीच भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई है. सूत्रों की मानें तो मंत्रिमंडल विस्तार में 6 विधायकों को स्थान मिल सकता है. इसमें एक सपा, एक बसपा और एक निर्दलीय को मंत्री बनाने की बात कही जा रही है. वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ विधायकों जिन्हें पहले मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था, जिसके चलते वे नाराज हैं, उनमें से दो विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है. एक निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल पहले से ही मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं.

मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा के साथ ही वर्तमान मंत्रिमंडल में से कुछ मंत्रियों को हटाने की चर्चा भी तेज हो गई है. लोकसभा चुनाव में जिन मंत्रियों का परफार्मेंस ठीक नहीं रहा है, उन्हें मंत्री पद से हटाया जा सकता है. इस संबंध में मुख्यमंत्री ने चुनाव के पहले ही यह बात मंत्रियों को स्पष्ट कर दी थी. हालांकि चुनाव परिणाम के बाद यह भी सामने आया है कि 22 मंत्री ऐसे हैं, जो अपने विधानसभा क्षेत्रों और प्रभार वाले जिलों में कांग्रेस को बढ़त नहीं दिला सके हैं.

सूत्रों की मानें तो मंत्रिमंडल विस्तार के चलते वर्तमान मंत्रियों महेन्द्र सिंह सिसोदिया, प्रियव्रत सिंह, लाखन सिंह, हर्ष यादव के अलावा सुखदेव पांसे को हटाने पर विचार किया जा रहा है. इन मंत्रियों के स्थान पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता के.पी.सिंह, बिसाहुलाल , एंदल सिंह कंसाना के अलावा एक निर्दलीय सुरेन्द्र सिंह ठाकुर और एक-एक सपा-बसपा के विधायकों को मंत्री बनाने की कवायद की जा रही है.

मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान लोकसभा चुनाव में मिली हार का सीधा असर विस्तार पर दिखाई देगा. कुछ मंत्रियों को छुट्टी होना तय है तो कुछ से अच्छे विभाग भी छीने जाने की बात सामने आ रही है. मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बीच हुई बैठकों में यह तय हुआ है कि स्वयं कमलनाथ, दिग्विजय सिंह के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों को पूर्व में जो अच्छे मंत्रालय दिए गए थे, वे वापस लेकर दूसरे मंत्रियों को दिए जाएंगे.