नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने रविवार को एग्जिट पोल्स के नतीजों का मजाक उड़ाते हुए कहा कि एग्जिट पोल्स, एग्जैक्ट पोल्स (सटीक) नहीं थे. उपराष्ट्रपति ने कहा, "एग्जिट पोल्स का अर्थ सटीक नतीजे नहीं है. हमें इसे समझना चाहिए. 1999 से अधिकांश एग्जिट पोल गलत साबित हुए हैं."

नायडू ने यह बात गुंटूर में एक अनौपचारिक मीटिंग के दौरान कही. लोकसभा चुनावों को लेकर उन्होंने कहा कि हर पार्टी का विश्वास कायम (जीत को लेकर) है. उन्होंने कहा, "23 तारीख (वोटों की गिनती) तक हर कोई अपना आत्मविश्वास दिखाएगा. इसका कोई आधार नहीं होगा. इसलिए हमें 23 तारीख तक इंतजार करना होगा."

नायडू ने आगे कहा, "देश और इसके राज्यों को योग्य नेता और स्थिर सरकार की जरूरत है, जो भी हो. बस इतनी ही जरूरत है. बस यहीं." उपराष्ट्रपति ने कहा कि समाज में परिवर्तन की शुरुआत राजनीतिक पार्टियों से होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर लोकतंत्र को मजबूत करना है तो सभी को अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा.

उपराष्ट्रपति ने इस बात पर अफसोस जताया कि वर्तमान राजनीतिक में शिष्टाचार खत्म हो गया है. उन्होंने कहा, "नेताओं के भाषणों में बहुत गिरावट आई है. वे निजी टिप्पणी कर रहे हैं. राजनीति में कोई किसी का दुश्मन नहीं है, वे केवल प्रतिद्धंदी हैं. वे इस मूल तथ्य को भूल रहे हैं."

संसद और राज्य विधानसभाओं में निर्वाचित प्रतिनिधियों के व्यवहार पर नाराजगी व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, "पार्टी पर ध्यान दिए बिना देखिए, संसद में सांसद और विधानसभा में विधायक कैसा व्यवहार कर रहे हैं. पंचायत और नागरिक निकायों के सदस्य उनका अनुसरण करते हैं."

उपराष्ट्रपति ने चुनाव जीतने के लिए राजनीति दलों द्वारा मुफ्त में देने की घोषणा की भी आलोचना की. उन्होंने कहा, "जिस तरह से पार्टियां व्यवहार कर रही हैं .. आपको पांच साल के लिए जनादेश दिया गया है. आपको काम करना पड़ेगा. ऐसा किए बिना, आप अंतिम समय में मुफ्त की घोषणा करते हैं. मैं हमेशा इसका विरोध करता हूं. मुक्त शक्ति का अर्थ है, कोई शक्ति नहीं."