नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली को यदि 14 जुलाई को क्रिकेट का मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान की बालकनी में विश्व कप ट्रॉफी के साथ खड़ा होना है तो इसमें कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल की अहम भूमिका होगी। विश्व कप के सेकेंड हाफ में इंग्लैंड की पिचें स्पिनरों के लिए मुफीद हो जाएंगी। टीम इंडिया के पिछले साल इंग्लैंड दौरे पर यही देखा गया था। जहां कुलदीप ने इंग्लिश बल्लेबाजों को अपने जाल में फंसाया था।

कुलदीप यादव के लिए विश्व कप से पहले का सफर अच्छा नहीं रहा। उन्हें हाल ही संपन्न् इंडियन प्रीमियर लीग के 12वें सीजन में कोलकाता नाइट राइडर्स की ओर से खेलते हुए बेहद खराब प्रदर्शन किया। नौबत यहां तक आ गई कि टूर्नामेंट के अंतिम दौर में अहम मैचों में कुलदीप को टीम मैनेजमेंट ने अंतिम एकादश में भी जगह नहीं दी थी। इसकी अहम वजह कुलदीप का फॉर्म थी। लेकिन एक चैम्पियन खिलाड़ी की पहचान यही होती है कि वह दमदार वापसी करे और कुलदीप इसके लिए तैयार हैं।

कुलदीप ने आईएएनएस के साथ बातचीत में कहा, 'टी-20 क्रिकेट वनडे क्रिकेट से काफी अलग है। आईपीएल भी वनडे क्रिकेट से अलग है। फ्रेंचाइजी क्रिकेट में किसी तरह का दबाव नहीं होता, लेकिन जब आप भारत के लिए खेलते हो तो दबाव होता है। आप जब भी मैदान पर जाते हो तो दबाव होता है लेकिन अहम बात यह है कि आप किस तरह से अपने को लक्ष्य पाने का प्रयास करते हो। मुझे नहीं लगता कि इससे ज्यादा कोई अतिरिक्त दबाव होता है। यह किसी और चीज से ज्यादा सही चीज को करने का मसला है।मेरे हिसाब से मैं अब एक परिपक्व क्रिकेटर बन गया हूं और टीम के लिए खेलने का प्रयास करता हूं। अगर आपकी टीम के पास एक अच्छा स्पिनर है तो वह किसी भी फॉर्म में असरदार साबित होगा।'

मीडिया में अभी ऐसी खबरें आई थीं कि कुलदीप ने कहा कि धोनी भी गलतियां करते हैं। यह साफ तौर पर मीडिया द्वारा एक मजाकिया लहजे में दिए गए बयान को बढ़ा चढ़ाकर बताने वाला मामला है। बल्कि कुलदीप अपने सीनियर खिलाड़ियों की कितनी इज्जत करते हैं उसका पता इस बात से चलता है कि वह अपनी और साथी स्पिनर युजवेंद्र चहल की सफलता का श्रेय धोनी, विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे टीम के वरिष्ठ खिलाड़ियों को देते हैं।