नई दिल्ली: बिहार के बक्सर और सासाराम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुनावी सभा हुई. लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमारबक्सर की सभा से गायब रहे, जबकि सासाराम की सभा में नीतीश कुमार मौजूद रहे. बक्सर की चुनावी सभा से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गायब रहने पर कयासों के बाजार गर्म हो गये हैं. राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा गर्म हो गई है कि आखिर मुख्यमंत्री नीतीश बक्सर क्यों नहीं गये?

बक्सर से केन्द्रीय मंत्री अश्विनी चौबे और सासाराम से छेदी पासवान भाजपा के उम्मीदवार हैं. इन दोनों उम्मीदवारों की छवि पर गौर करें तो छेदी पासवान की छवि अमूमन साफ-सुथरी है, लेकिन अश्विनी चौबे अपने सांप्रदायिक माने जाने वाले बयानों को लेकर खासे चर्चित रहे हैं, जो नीतीश सरकार के लिए गले की हड्डी बनते रहे हैं.

बीते साल फरवरी और मार्च महीने में बिहार के कई जिलों में रामनवमी यात्रा को लेकर सम्प्रदायिक तनाव को घटनाओं के बाद नीतीश कुमार की जमकर आलोचना हुई थी. कई घटनाओं के पीछे केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत को जेल भी जाना पड़ा था. इसके साथ ही भागलपुर में जदयू की घुसपैठ के बाद अश्विनी चौबे की नाराजगी भी जगजाहिर है.

दरअसल, इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा की परंपरागत सीट भागलपुर जदयू के खाते में चली गई. इसके बाद वहां भाजपा कार्यकर्ताओं में निराशा रही. जिसका खामियाजा शायद जदयू को आने वाले नतीजे में उठाना भी पड़े. वहीं, जदयू के खेमे की ओर से इसका जिम्मेदार अश्विनी चौबे को ही माना जा रहा है.

ऐसे में जानकारों का मानना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए एक नहीं तीन कारण बन रहे हैं जो बक्सर में अश्विनी चौबे की सभा से वे दूरी बनाए हुए हैं. हालांकि नीतीश कुमार ने चार दिन पहले बक्सर में एक चुनावी सभा को संबोधित किया है, लेकिन संयोग ये कहें कि उस मंच पर भाजपा के उम्मीदवार अश्विनी चौबे मौजूद नही थे. ऐसे में इस सभा को सिर्फ रस्म अदायगी ही माना गया. कहा जाता है कि सभा में जबतक अश्विनी चौबे पहुंचते तबतक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हवा में उड़ चुके थे. इस तरह दोनों के बीच दूरी की दूरी ही रह गई.