नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के दौरान वित्त मंत्रालय से जुड़ी एक रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चिंता का कारण बन सकती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2018-19 में ग्रॉस टैक्स कलेक्शन में 1.6 लाख करोड़ रुपए की कमी आई है। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक यह कमी विशेष रूप से दूसरी छमाही में आर्थिक मंदी को दर्शाती है। पिछले सप्ताह डेली न्यूज पेपर बिजनेस स्टैंडर्ड ने रिपोर्ट दी कि 2018-19 में 1.6 लाख करोड़ रुपए के टैक्स में कमी आई। एक अनुमान के मुताबिक यह कमी जीडीपी का 0.8 फीसदी बैठती है। क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी.के. जोशी ने द प्रिंट को बताया, ‘टैक्स में कमी से संकेत मिला है कि आर्थिक वृद्धि दर में कमी आई है। खासतौर पर ऐसा दूसरी छमाही में हुआ, जिससे खासी उम्मीदों के बावजूद टैक्स कलेक्शन कम हो गया।’ डी.के. जोशी के ने बताया कि इससे पता चलता है कि टैक्स कलेक्शन टारगेट को मुख्य रूप से इस साल हासिल करना खासा मुश्किल होगा।

बता दें कि धीमी आर्थिक विकास का जॉब मार्केट पर सीधा असर पढ़ता है, जो मौजूदा लोकसभा चुनाव में भी सबसे महत्वपूर्व मुद्दों में से एक था। इसके अलावा टैक्स कलेक्शन में कमी की वजह से सरकार के लिए 3.4 फीसदी के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करना भी खासा मुश्किल हो जाएगा, जो कि रेलवे और कोयला मंत्री पीयूष गोयल द्वारा घोषित अंतरिम बजट में निर्धारित किया गया था। पीयूष गोयल के पास तब वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त पदभार था। वर्तमान में वित्त मंत्री अरुण जेटली हैं। तब अंतरिम बजट पेश करते हुए पीयूष गोयल ने पिछले वर्ष के लिए 11.5 लाख करोड़ रुपए से 12 लाख करोड़ रुपए के डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन का टारगेट तय किया था। मगर पिछले वित्त वर्ष के आखिरी दो महीने में यह खासा नीचे आ गया।

इसके अलावा वित्त वर्ष में सरकार ने माल और सेवा कर (जीएसटी) कलेक्शन टारगेट को 7.43 लाख करोड़ रुपए से घटाकर 6.43 लाख करोड़ रुपए कर दिया था। वहीं मोदी सरकार ने 2018-19 के लिए जीडीपी विकास दर को 11.5 प्रतिशत पर आंका था। इस वृद्धि प्रक्षेपण के आधार पर, इसने हायर टैक्स कलेक्शन टारगेट तय किए थे। जैसे- जिता अधिक विकास, उतना अधिक राजस्व।