नई दिल्ली: दुनिया के सामने जीडीपी में तेज रफ्तार और दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था का दावा करने वाली मोदी सरकार का पर्दाफाश हो गया है.

प्राप्त तथ्यों के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी और वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आंकड़ों में हेरा-फेरी कर अर्थव्यवस्था की विकास दर को फर्जी ढंग से पेश किया यह खुलासा एनएसएसओ की ताजा रिपोर्ट आने के बाद हुआ है.

दरअसल इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन कंपनियों के दम पर जीडीपी में तेजी से बढ़त का दावा किया गया था उनमें से 36 फीसदी कंपनियां वजूद में ही नहीं है.

कांग्रेस ने आज इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए कहा कि इस मामले की गहन जांच होनी चाहिए कि आंकड़े की चोरी किस तरह की गयी तथा आंकड़ों की चोरी में जेटली और मोदी की क्या भूमिका थी.

पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने इसे बड़ा घोटाला बताते हुए इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि अधिकारियों की भूमिका सरकार के इशारे पर तय हुई थी.

गौरतलब है कि इन आंकड़ों में हेराफेरी को लेकर ही पिछले दिनों राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के दो महत्वपूर्ण अधिकारियों ने अपने पदों से त्यागपत्र दिया था. इनमें आयोग के अध्यक्ष पी.सी.मोहन और मीनाक्षी के नाम शामिल है.

पी. चिदंबरम ने आंकड़े पेश करते हुए साफ किया कि किस तरह अर्थव्यवस्था की वास्तविकता को छुपाया गया, जीडीपी की वास्तविक दर 18-19 में 7 फीसदी तक जा पहुंची, राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.9 फीसदी से ज्यादा होने का अनुमान है.

जबकि कर राजस्व में 1.6 लाख करोड़ की गिरावट दर्ज हुई है. निवेश और बचत दोनों ही क्षेत्रों में आशा के विपरीत गिरावट देखी जा रही है. बेरोजगारी 45 वर्षो में अपने सर्वाधिक ऊंचे स्तर पर है केवल 2018 में 1.1 करोड़ नौकरियां छिनी गई. नोटबंदी और जीएसटी के कारण बेरोजगारी चरम पर जा पहुंची.

2004 से 2013 के बीच कृषि विकास दर 3.84 फीसदी प्रति वर्ष थी जो 2014 और 2018 में जब मोदी की सरकार बनी घटकर 1.88 फीसदी पर पहुंच गई.

चिदंबरम ने ऐसे ही आंकड़े उपभोक्ताओं के उपयोग में आने वाली वस्तुओं में देखी गयी गिरावट, निवेश, बैंकिंग क्षेत्र का संकट और बाहरी चुनौतियों के आंकड़े भी पेश किये. उन्होंने कहा कि यह बड़ा घोटाला है और इसकी जांच होगी.