नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने दूरसंचार मंत्रालय (डीओटी) से भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) और महानगर टेलिफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) के पुनरुत्थान प्रस्तावों की फिर से जांच करने के लिए कहा है। इसके साथ ही मंत्रालय ने कहा है कि पुनरुत्थान प्रस्तावों की रिपोर्ट्स को नई सरकार के गठन के बाद उनके समक्ष पेश किया जाए।

एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, सरकार के इस कदम से साफ है कि वह फिलहाल नई सरकार के गठन तक केंद्र के घाटे में चल रहे इन दो उपक्रमों की वित्तीय हालात को ठीक करने के लिए फिलहाल कोई कदम नहीं उठाना चाहती।

बता दें कि पिछले महीने ही दूरसंचार मंत्रालय ने सभी मंत्रालय को बीएसएनल और एमटीएनएल के पुनरुत्थान के लिए यह प्रस्ताव भेजा था। दोनों ही उपक्रम वित्त मंत्रालय की टिप्पणियों का इंतजार कर रहे थे। फिलहाल वित्त मंत्रालय ने इसकी फिर से जांच करने और फिर से तैयार करने के लिए कहा है।

टेलिकॉम मंत्रालय ने अपने पुनरुत्थान प्रस्ताव के दो प्रमुख मुद्दों को रेखांकित किया था। जिसमें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) और 4जी स्पेक्ट्रम का आवंटन शामिल है।

वीआरएस योजना की वजह से बीएसएनएल के राजस्व पर 6,365 करोड़ रुपये और एमटीएनएल के राजस्व पर 2,120 करोड़ रुपये का प्रभाव पड़ेगा। बता दें कि सभी दूरसंचार ऑपरेटरों के बीच सबसे कम ऋण वाले बीएसएनएल ने 7,000 करोड़ रुपये के इक्विटी इन्फोसिस के माध्यम से देश भर में 4 जी स्पेक्ट्रम की मांग की है। इन स्पेक्ट्रम की कुल लागत 14,000 करोड़ रुपये होगी।