नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के लिए काउंटिंग के वक्त 50% वीवीपैट पर्चियां मिलाने से जुड़ी याचिका सुप्रीम कोर्ट ने एक मिनट के अंदर ही खारिज कर दी. दरअसल 21 विपक्षी दलों ने पहले तीन चरणों के मतदान के दौरान सामने आए ईवीएम में गड़बड़ी के मामलों का हवाला देते हुए 50% वीवीपैट पर्चियां मिनाने की मांग करते हुए पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी.

वहीं चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने विपक्षी दलों की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि अदालत इस मामले को बार-बार क्यों सुने? CJI ने कहा कि वह इस मामले में दखलअंदाजी नहीं करना चाहते हैं. विपक्षी दलों की याचिका में कहा गया था कि कई मामलों में देखा गया है कि वोटर किसी अन्य पार्टी को वोट देता है और उसका वोट किसी दूसरी पार्टी के लिए रिकॉर्ड हो रहा है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि हमारा लक्ष्य था कि हर दल के लिए चुनाव निष्पक्ष हो. हम अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं. वामदल के नेता डी राजा ने कहा कि हम अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं. वहीं आप नेता संजय सिंह ने कहा कि अब सबसे लोकतंत्र पर सवाल उठे हैं.

इससे पहले 8 अप्रैल को दिए निर्देश में अदालत में ने कहा था कि हर विधानसभा क्षेत्र में एक की बजाए 5 EVM- VVPAT का औचक मिलान होगा. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने कहा था, 'हर विधानसभा में EVM- VVPAT मिलान की संख्या इसलिए बढ़ाई गई है ताकि सटीकता बढ़े, चुनावी प्रक्रिया सही हो और न सिर्फ राजनीतिक दल बल्कि मतदाता भी इससे संतुष्ट हो.'

विपक्षी दलों की मांग पर चुनाव आयोग ने कहा था कि इससे परिणाम 5-6 दिन की देरी से आएंगे. 8 अप्रैल को पीठ ने अपने निर्देश में कहा था- 'वर्तमान निर्देश से परिणाम की घोषणा में बहुत देरी नहीं होनी चाहिए.'

सुप्रीम कोर्ट में याचिका आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू (टीडीपी), शरद पवार (एनसीपी), फारूक अब्दुल्ला (एनसी), शरद यादव (एलजेडी), अरविंद केजरीवाल (आम आदमी पार्टी), अखिलेश यादव (सपा), डेरेक ओ'ब्रायन (टीएमसी) और एम. के. स्टालिन (डीएमके) की ओर से दायर की गई है.

बाकी कुछ और छोटे दल भी इसमें शामिल हैं. याचिका में उन्होंने अदालत से अपील की गई थी कि ईवीएम के 50 फीसदी नतीजों का आम चुनावों के परिणाम की घोषणा किए जाने से पहले वीवीपैट के साथ मिलान किया जाना चाहिए या दोबारा जांच की जानी चाहिए.