नई दिल्ली: मध्य प्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा पर आखिरकार चुनाव आयोग की गाज गिर गई है. आचार संहिता उल्लंघन मामले में भोपाल के जिला निर्वाचन अधिकारी के एफआईआर दर्ज करने के आदेश के बाद उनके खिलाफ भोपाल के कमला नगर थाने में FIR दर्ज हो गई है. बाबरी मस्जिद पर दिए गए उनके बयान के मामले में चुनाव आयोग ने उनके जवाब को अस्वीकार कर दिया है.

इससे पहले साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने चुनाव आयोग के नोटिस का जवाब देते हुए लिखा था, 'उन्होंने किसी शहीद का अपमान नहीं किया है. चुनाव आयोग को भेजे गए जवाब में साध्वी ने लिखा है- किसी दल के नेता या राजनैतिक कार्यकर्ता के निजी जीवन के बारे में कुछ नहीं कहा है. बिन्दु क्रमांक- 3 पूर्व रूप से अस्वीकार है.'

उन्होंने आगे लिखा, 'मैंने अपने उद्बोधन में किसी शहीद की शहादत के बारे में अपमानजनक बात नहीं कही, मेरे वक्तव्य को एक पंक्ति के आधार पर अर्थान्वयन नहीं करना चाहिए. पूरे वक्तव्य को एक साथ अर्थान्वयन करना चाहिए. मैंने अपने उद्बोधन में केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार के निर्देशों पर मुझे जो यातनाएं दी गई उसका सिर्फ उल्लेख किया है और यह मेरा अधिकार है कि मेरे साथ जो घटना घटित हुई उसे जनता के समक्ष रखूं. मेरे बयान को मीडिया द्वारा नकारात्मक परिपेक्ष्य में प्रस्तुत किया गया है उसे मैंने स्वयं जनभावना का सम्मान करते हुए बयान को वापस लिया है.

बता दें कि साध्वी प्रज्ञा ने शनिवार को कैंपेन के दौरान एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि 'राम मंदिर निश्चित रूप से बनाया जाएगा. यह एक भव्य मंदिर होगा.' यह पूछे जाने पर कि क्या वह राम मंदिर बनाने के लिए समयसीमा बता सकती हैं, तो प्रज्ञा ने कहा, 'हम मंदिर का निर्माण करेंगे. आखिरकार, हम ढांचा (बाबरी मस्जिद) को ध्वस्त करने के लिए भी तो गए थे.'

साध्वी प्रज्ञा के इस बयान का चुनाव आयोग ने भी तुरंत संज्ञान लेते हुए उन्हें चुनाव आचार संहिता उल्लंघन का नोटिस थमा दिया. और मामले में उन्होंने इस पर जवाब देने का आदेश भी दे दिया था. वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश उलेमा बोर्ड ने इस मामले में चुनाव आयोग में साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ शिकायत की है और मांग की है कि साध्वी प्रज्ञा का चुनाव निरस्त किया जाए.