लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने चुनाव आयोग से लगा 48 घंटे का प्रतिबंध समाप्त होने के बाद भाजपा पर खुला हमला बोला। उन्होंने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लाए। कहा, जांच होनी चाहिए कि आयोग वाकई में निष्पक्षता से काम कर रहा है केंद्र के आगे नतमस्तक नहीं है? प्रतिबंध के बाद भी योगी आदित्यनाथ घूम-घूम कर मीडिया से प्रचार करा रहे हैं।

मायावती ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की यह संतुष्टि काफी महत्वपूर्ण है कि चुनाव आयोग उतना लाचार व कमजोर नहीं है जितना वह अपने आपको साबित कर रहा था लेकिन इस तथ्य व आमधारणा की सही जांच व परख होनी बाकी है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को अनेकों प्रकार के उत्तेजनाओं के बावजूद एक-दूसरे पर टिप्पणी करने के मामले में शालीनता की सीमा नहीं लांघनी चाहिए। इससे भाजपा को अपनी कमजोरी छिपाने व लोगों को बरगलाने का मौका मिल जाता है। वैसे भी सत्ताधरी पार्टी पर आयोग की पकड़ सख्त होगी तभी जनविश्वास पैदा होगा।

उन्होंने कहा कि चुनाव में हर प्रकार के अनर्गल आरोपों के अलावा भाजपा नेता व खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जुबान लगातार बेलगाम रही है, जैसे कि विपक्ष पर यह आरोप कि वे उन्हें गाली देते रहते हैं बहुत ही अशोभनीय व अमर्यादित है। महिला सम्मान से जुड़े मामलों में भी भाजपा की भूमिका अच्छी नहीं रही है। देश भर में व ख़ासकर उत्तर प्रदेश के सर्वसमाज के मतदाताओं, युवाओं व महिलाओं से अपील है कि वे लोकसभा के लिए गुरुवार को हो रहे दूसरे चरण के मतदान में भी वोट डालने के अपने संवैधानिक हक का भरपूर इस्तेमाल करें।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि दूसरे चरण के मतदान से भाजपा व प्रधानमंत्री उसी प्रकार से नरवस व घबराए लगते हैं जैसे पिछले लोकसभा चुनाव में हार की डर से कांग्रेस व्यथित व व्याकुल थी। इसकी असली वजह सर्वसमाज के गरीबों, मजदूरों, किसानों के साथ-साथ इनकी दलित, पिछड़ा व मुस्लिम विरोधी संकीर्ण सोच व कर्म है।

अगर ऐसा ही भेदभाव व भाजपा नेताओं के प्रति चुनाव आयोग की अनदेखी व गलत मेहरबानी जारी रहेगी तो फिर इस चुनाव का स्वतंत्र व निष्पक्ष होना असंभव है। इन मामलों मे जनता की बेचैनी का समाधान कैसे होगा? भाजपा नेतृत्व आज भी वैसी ही मनमानी करने पर तुला है जैसा वह अबतक करता आया है, क्यों?

उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमला बोलते हुए कहा कि चुनाव आयोग की पाबंदी का खुला उल्लंघन का आरोप लगाया। योगी शहर- शहर व मंदिरों में जाकर और दलित के घर बाहर का खाना खाने आदि का ड्रामा कर रहे हैं। इतना ही नहीं इसको मीडिया में प्रचारित करवाकर चुनावी लाभ लेने का गलत प्रयास लगातार कर रहे हैं। किन्तु आयोग उनके प्रति मेहरबान है, क्यों?