नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राफेल मामले पर केंद्र सरकार को बड़ा झटका दिया है। बुधवार को मोदी सरकार की प्राथमिक आपत्ति पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की पीठ ने एकमत से कहा कि लीक दस्तावेज भी अदालत में मान्य होंगे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद याचिका कर्ता अरुण शौरी ने कहा कि सरकार ने राफेल मामले पर देश और कोर्ट को गुमराह किया है।

गौरतलब है कि अटॉर्नी जनरल का तर्क था कि दस्तावेंजों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ मुद्दा है। प्रशांत भूषण ने इसके विरोध में कहा था कि दस्तावेज सार्वजनिक हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जहां तक राफेल फैसले पर पुनर्विचार का सवाल है इस संबंध में दायर याचिका पर बाद में विस्तार से सुनवाई की जाएगी।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार की इस प्राथमिक आपत्ति पर फैसला सुनाया कि कि क्या राफेल मामले में फैसले पर पुनर्विचार के लिये विशेषाधिकार वाले दस्तावेजों को आधार बनाया जा सकता है या नहीं।

शीर्ष अदालत ने 14 मार्च को उन विशेषाधिकार वाले दस्तावेजों की स्वीकार्यता पर केंद्र की प्रारंभिक आपत्तियों पर फैसला सुरक्षित रखा था जिन्हें पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी तथा वकील प्रशांत भूषण ने शीर्ष अदालत के 14 दिसंबर के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका में शामिल किया था।

14 दिसंबर के फैसले में उच्चतम न्यायालय ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे के खिलाफ सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था। पीठ ने कहा, ‘‘केंद्र द्वारा जताई गयी प्रारंभिक आपत्तियों पर फैसला करने के बाद ही हम पुनर्विचार याचिकाओं के अन्य पहलू पर विचार करेंगे।’’ उसने कहा, ‘‘अगर हम प्रारंभिक आपत्ति को खारिज कर देते हैं, तभी दूसरे पहलुओं को देखेंगे।’’