नई दिल्ली: भारत निर्वाचन आयोग ने लोकसभा और विधानसभा का स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचन सुनिश्चित करने राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के घोषणापत्र के संबंध में नए निर्देश जारी किए हैं। आयोग ने राजनीतिक दलों से कहा है कि चुनाव घोषणापत्र में उल्लेखित बातें संविधान द्वारा स्थापित आदर्शों एवं सिद्धांतों के प्रतिकूल नहीं होना चाहिए। साथ ही यह आदर्श आचार संहिता के अन्य प्रावधानों की तरह निष्पक्ष और स्वतंत्र निर्वाचन के लिए मतदाताओं को बेहतर माहौल देने वाला होना चाहिए। आयोग ने चुनाव घोषणापत्र जारी करने की अवधि को आदर्श आचार संहिता में शामिल किया है।

राजनीतिक दल लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा-126 के अनुसार घोषणापत्र जारी करने की प्रतिबंधित अवधि यानी मतदान समाप्ति के 48 घंटे पहले अब घोषणापत्र जारी नहीं कर पाएंगे। विभिन्न चरणों में मतदान की स्थिति में यह मनाही प्रत्येक चरण के मतदान की समाप्ति के 48 घंटे पहले तक लागू रहेगी। इसका उल्लंघन अब आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा। आयोग ने सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों को पत्र लिखकर नए निर्देशों और प्रावधानों के बारे में सूचित किया है।

एक चरण में संपन्न होने वाले निर्वाचनों और कई चरणों में संपन्न होने वाले निर्वाचनों, दोनों में घोषणापत्र जारी करने की प्रतिबंधित अवधि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा-126 के अनुसार होगी। इसके तहत मतदान समाप्ति के 48 घंटे पहले घोषणापत्र जारी करना वर्जित किया गया है। आयोग ने सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को लोकसभा एवं विधानसभा निर्वाचन के दौरान घोषणा पत्र संबंधी नए निर्देश और आचार संहिता के नए प्रावधानों का ध्यान रखने कहा है।

उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने भारत निर्वाचन आयोग को राजनीतिक दलों से चर्चा कर चुनाव घोषणापत्र की विषयवस्तु के संबंध में दिशा-निर्देश तैयार करने निर्देशित किया था। भारत निर्वाचन आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से चर्चा और गंभीर विचार-विमर्श के बाद घोषणापत्र को लेकर नए निर्देश जारी किए हैं।

आयोग ने अपने पत्र में कहा है कि राजनीतिक दलों द्वारा कल्याणकारी योजनाओं के संबंध में किए जाने वाले वायदों को लेकर आपत्ति नहीं है, लेकिन दलों को ऐसे वायदों से बचना चाहिए, जो निर्वाचन प्रक्रिया की पवित्रता को धूमिल करती है। साथ ही मतदाताओं के विवेकपूर्ण, निष्पक्ष और स्वतंत्र परिवेश में मताधिकार के इस्तेमाल को गलत ढंग से प्रभावित करती है।

आयोग ने पत्र में कहा है कि पारदर्शिता, सभी उम्मीदवारों के लिए समान अवसर और वायदों की विश्वसनीयता के लिए घोषणापत्र से विवेकसम्म्त और तर्कपूर्ण वायदों की झलक मिलनी चाहिए। घोषणापत्र की बातों को पूर्ण करने के तरीकों और इसके लिए वित्तीय व्यवस्था के संकेत भी इसमें हों। मतदाताओं का भरोसा जीतने की कोशिश उन वायदों के आधार पर की जानी चाहिए, जिन्हें पूरा किया जाना संभव हो।